निकायों में खरीदी, टेंडर की जानकारी वेबसाइट पर करें अपलोड
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भोपाल। सिंगरौली नगर निगम के एक मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयोग ने शुक्रवार को अहम आदेश जारी किया. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सभी नगरीय निकायों में खरीदी और टेंडर की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।
स्ूचना आयुक्त ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शासकीय विभाग खरीदी और टेंडर से संबंधित जानकारी को आम आदमी को देने से मना नहीं कर सकते है। वही सिंह ने इसी मामले में जानकारी नहीं देने पर सिंगरौली के नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को 25 हजार के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। आदेश में कहा है कि एक बार टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने पर टेंडर अवार्ड होने के बाद टेंडर की जानकारी को रोकने का बेहद ठोस आधार उपलब्ध होने पर ही लोकप्राधिकारी जानकारी को अधिनियम की धारा 8 एवं 9 के तहत देने से मना कर सकते हैं। सिंह ने कहा की सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 के तहत टेंडर से संबंधित दस्तावेज रिकार्ड की श्रेणी में आते हैं. वहीं टेंडर से संबंधित दस्तावेजों के निरीक्षण एवं प्रमाणित प्रतिलिपि लेने का “सूचना का अधिकार” अधिनियम की धारा 2(आई) के तहत उपलब्ध है। आयोग का यह मानना है कि योजनाओं में खर्च किया गया पैसा टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई से आता है। इसलिए हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि योजनाओं का पैसा सही जगह खर्च हो रहा है या नहीं।
स्ूचना आयुक्त ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शासकीय विभाग खरीदी और टेंडर से संबंधित जानकारी को आम आदमी को देने से मना नहीं कर सकते है। वही सिंह ने इसी मामले में जानकारी नहीं देने पर सिंगरौली के नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को 25 हजार के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। आदेश में कहा है कि एक बार टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने पर टेंडर अवार्ड होने के बाद टेंडर की जानकारी को रोकने का बेहद ठोस आधार उपलब्ध होने पर ही लोकप्राधिकारी जानकारी को अधिनियम की धारा 8 एवं 9 के तहत देने से मना कर सकते हैं। सिंह ने कहा की सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 के तहत टेंडर से संबंधित दस्तावेज रिकार्ड की श्रेणी में आते हैं. वहीं टेंडर से संबंधित दस्तावेजों के निरीक्षण एवं प्रमाणित प्रतिलिपि लेने का “सूचना का अधिकार” अधिनियम की धारा 2(आई) के तहत उपलब्ध है। आयोग का यह मानना है कि योजनाओं में खर्च किया गया पैसा टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई से आता है। इसलिए हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि योजनाओं का पैसा सही जगह खर्च हो रहा है या नहीं।