संगठन चुनाव में सांसदों, विधायकों पर कड़ी नजर
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रिष्तेदारों, समर्थकों से संगठन बना रहा दूरी
भोपाल। भाजपा के संगठन चुनाव पर केंद्रीय नेतृत्व की विशेष नजर है। इसके लिए जारी हाईकमान के निर्देश में कहा गया है कि बूथ, मंडल या जिलाध्यक्ष के चुनाव निष्पक्ष और सर्वसम्मति से होने चाहिए। विधायक या सांसद अपने समर्थक या रिश्तेदार को संगठन में बैठाने का प्रयास करें तो उसे सफल न होने दिया जाए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस पर भाजपा के संगठन चुनाव में विधायक-सांसदों पर कड़ी नजर है। स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बूथ, मंडल या जिलाध्यक्ष के चुनाव निष्पक्ष और सर्वसम्मति से होने चाहिए। विधायक या सांसद अपने समर्थक या रिश्तेदार को संगठन में बैठाने का प्रयास करें तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। भाजपा पीढ़ी परिवर्तन की रणनीति पर काम कर रही है। इसका सीधा आशय यही है कि कोई भी जनप्रतिनिधि संगठन को जेब में रखने यानी अपनी मर्जी से चलाने की कोशिश करेगा तो ऐसे प्रयास को विफल कर देना है। पिछले संगठन चुनाव में बुंदेलखंड के एक विधायक ने अपने घर पर ही संगठन चुनाव की सारी प्रक्रिया पूरी करवा ली थी। बाद में शिकायत मिली तो नए सिरे से प्रक्रिया करवाई गई। महाकौशल और विध्य क्षेत्र में कुछ ताकतवर मंत्रियों ने भी अपने समर्थकों को ही पदाधिकारी बनवा दिया था। पार्टी चाहती है कि ऐसे किसी मामले की पुनरावृत्ति न हो। पिछली बार हुए चुनावों में अधिकांश विधायकों ने अपने चहेते कार्यकर्ताओं को मंडल अध्यक्ष बनवा लिया था। इसकी शिकायत दिल्ली तक हुई थी। तब शिकायतों के आधार पर प्रदेश संगठन ने कुछ मंडल अध्यक्ष भी बदले थे। इस बार संगठन सांसद, विधायकों और संगठन के जिले के नेताओं से चर्चा के बाद मंडल अध्यक्ष का निर्वाचन करेगा। पार्टी का प्रयास होगा कि सर्वसम्मति से अध्यक्ष का नाम तय हो और कहीं भी चुनाव की नौबत न आए।
भोपाल। भाजपा के संगठन चुनाव पर केंद्रीय नेतृत्व की विशेष नजर है। इसके लिए जारी हाईकमान के निर्देश में कहा गया है कि बूथ, मंडल या जिलाध्यक्ष के चुनाव निष्पक्ष और सर्वसम्मति से होने चाहिए। विधायक या सांसद अपने समर्थक या रिश्तेदार को संगठन में बैठाने का प्रयास करें तो उसे सफल न होने दिया जाए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस पर भाजपा के संगठन चुनाव में विधायक-सांसदों पर कड़ी नजर है। स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बूथ, मंडल या जिलाध्यक्ष के चुनाव निष्पक्ष और सर्वसम्मति से होने चाहिए। विधायक या सांसद अपने समर्थक या रिश्तेदार को संगठन में बैठाने का प्रयास करें तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। भाजपा पीढ़ी परिवर्तन की रणनीति पर काम कर रही है। इसका सीधा आशय यही है कि कोई भी जनप्रतिनिधि संगठन को जेब में रखने यानी अपनी मर्जी से चलाने की कोशिश करेगा तो ऐसे प्रयास को विफल कर देना है। पिछले संगठन चुनाव में बुंदेलखंड के एक विधायक ने अपने घर पर ही संगठन चुनाव की सारी प्रक्रिया पूरी करवा ली थी। बाद में शिकायत मिली तो नए सिरे से प्रक्रिया करवाई गई। महाकौशल और विध्य क्षेत्र में कुछ ताकतवर मंत्रियों ने भी अपने समर्थकों को ही पदाधिकारी बनवा दिया था। पार्टी चाहती है कि ऐसे किसी मामले की पुनरावृत्ति न हो। पिछली बार हुए चुनावों में अधिकांश विधायकों ने अपने चहेते कार्यकर्ताओं को मंडल अध्यक्ष बनवा लिया था। इसकी शिकायत दिल्ली तक हुई थी। तब शिकायतों के आधार पर प्रदेश संगठन ने कुछ मंडल अध्यक्ष भी बदले थे। इस बार संगठन सांसद, विधायकों और संगठन के जिले के नेताओं से चर्चा के बाद मंडल अध्यक्ष का निर्वाचन करेगा। पार्टी का प्रयास होगा कि सर्वसम्मति से अध्यक्ष का नाम तय हो और कहीं भी चुनाव की नौबत न आए।