अपने दस नाराज नेताओं पर भाजपा की नजर
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परिणाम आते ही सरकार बनाने के लिए भाजपा ने बनाई रणनीति
भोपाल। मतदाता के मौन के बीच हुए मतदान के बाद अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए सरकार बनाने की जद्दोजहद भी तेज हो गई है। दोनों ही दल स्पष्ट बहुमत ना मिलने की स्थिति में आगे की रणनीति क्या होगी, इसे लेकर मंथन में जुटे हैं। भाजपा नेताओं की हुई बैठक के बाद भाजपा संगठन ने अपने नाराज होकर बागी हुए नेताओं पर फिर से भरोसा दिखाने की रणनीति तय की है। करीब दस नेताओं पर भाजपा संगठन की निगाह है, जो टिकट ना मिलने से बागी हो गए थे।
प्रदेश में तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना को लेकर भाजपा मतगणना के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी ना हो, इसे लेकर रणनीति बनाकर हर मतगणना स्थल पर अपने कार्यकर्ता की तैनाती कर रही है। इसके अलावा भाजपा संगठन वैसे तो भाजपा की जीत का दावा करते हुए सरकार बनाने की बात कह रहा है, लेकिन फिर भी बिगड़ी परिस्थिति में सरकार किस तरह बनाई जाए इसे लेकर भी नेता रणनीति बना रहे हैं। इसे लेकर भाजपा के बड़े नेताओं की बैठकें भी लगातार हो रही है। इन बैठकों में बसपा और निर्दलीय एवं दूसरे दलों के नेताओं का सहारा लेने की बातें भी सामने आ रही है। वहीं भाजपा का पूरा फोकस अपने दल के पुराने नेता जो टिकट ना मिलने से नाराज होकर दूसरे दलों के प्रत्याशी बने और कुछ निर्दलीय मैदान में उतरे हैं, उनका भरोसा जीतने पर भी है। भाजपा नेता इस रणनीति पर काम कर रहे हैं कि किसी तरह इन नाराज नेताओं को फिर से मनाया जाए, ताकि सरकार बनाने की राह आसान हो जाए। सूत्रों की माने तो संगठन ने इसके तहत दस ऐसे नेताओं पर नजरें गढ़ाई है, जो नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरे थे। भाजपा पदाधिकारी इन नेताओं को मनाने की कवायद करेंगे। फिलहाल इन नेताओं के मैदान में खड़े होने से त्रिकोणीय हुए मुकाबले के कारण उनकी जीत का आकलन भाजपा द्वारा किया जा रहा है। अगर ये नेता मतगणना के बाद विजयी होते हैं, तो भाजपा इन नेताओं को अपने साथ लाने का प्रयास करेगी। इस रणनीति को लेकर संगठन पदाधिकारी सक्रिय हुए हैं।
इन बागियों पर है निगाहें
मुरैना में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े राकेश रुस्तम सिंह, सीधी के भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह की लहार सीट पर बसपा से चुनाव लड़े रसाल सिंह, चाचौड़ा में पूर्व विधायक और आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी ममता मीना, भिंड से पूर्व विधायक संजीव कुशवाहा जो बसपा से चुनाव लड़े, टीकमगढ़ में बागी केके श्रीवास्तव, राजनगर सीट पर बसपा के घासीराम पटेल, नर्मदापुरम सीट पर दो सगे भाइयों के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले भाजपा के बागी भगवती चौरे, बुरहानपुर में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बेटे हर्ष चौहान और जोबट सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक माधव सिंह डाबर जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा पर भाजपा की निगाहें टिकी है।
भोपाल। मतदाता के मौन के बीच हुए मतदान के बाद अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए सरकार बनाने की जद्दोजहद भी तेज हो गई है। दोनों ही दल स्पष्ट बहुमत ना मिलने की स्थिति में आगे की रणनीति क्या होगी, इसे लेकर मंथन में जुटे हैं। भाजपा नेताओं की हुई बैठक के बाद भाजपा संगठन ने अपने नाराज होकर बागी हुए नेताओं पर फिर से भरोसा दिखाने की रणनीति तय की है। करीब दस नेताओं पर भाजपा संगठन की निगाह है, जो टिकट ना मिलने से बागी हो गए थे।
प्रदेश में तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना को लेकर भाजपा मतगणना के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी ना हो, इसे लेकर रणनीति बनाकर हर मतगणना स्थल पर अपने कार्यकर्ता की तैनाती कर रही है। इसके अलावा भाजपा संगठन वैसे तो भाजपा की जीत का दावा करते हुए सरकार बनाने की बात कह रहा है, लेकिन फिर भी बिगड़ी परिस्थिति में सरकार किस तरह बनाई जाए इसे लेकर भी नेता रणनीति बना रहे हैं। इसे लेकर भाजपा के बड़े नेताओं की बैठकें भी लगातार हो रही है। इन बैठकों में बसपा और निर्दलीय एवं दूसरे दलों के नेताओं का सहारा लेने की बातें भी सामने आ रही है। वहीं भाजपा का पूरा फोकस अपने दल के पुराने नेता जो टिकट ना मिलने से नाराज होकर दूसरे दलों के प्रत्याशी बने और कुछ निर्दलीय मैदान में उतरे हैं, उनका भरोसा जीतने पर भी है। भाजपा नेता इस रणनीति पर काम कर रहे हैं कि किसी तरह इन नाराज नेताओं को फिर से मनाया जाए, ताकि सरकार बनाने की राह आसान हो जाए। सूत्रों की माने तो संगठन ने इसके तहत दस ऐसे नेताओं पर नजरें गढ़ाई है, जो नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरे थे। भाजपा पदाधिकारी इन नेताओं को मनाने की कवायद करेंगे। फिलहाल इन नेताओं के मैदान में खड़े होने से त्रिकोणीय हुए मुकाबले के कारण उनकी जीत का आकलन भाजपा द्वारा किया जा रहा है। अगर ये नेता मतगणना के बाद विजयी होते हैं, तो भाजपा इन नेताओं को अपने साथ लाने का प्रयास करेगी। इस रणनीति को लेकर संगठन पदाधिकारी सक्रिय हुए हैं।
इन बागियों पर है निगाहें
मुरैना में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े राकेश रुस्तम सिंह, सीधी के भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह की लहार सीट पर बसपा से चुनाव लड़े रसाल सिंह, चाचौड़ा में पूर्व विधायक और आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी ममता मीना, भिंड से पूर्व विधायक संजीव कुशवाहा जो बसपा से चुनाव लड़े, टीकमगढ़ में बागी केके श्रीवास्तव, राजनगर सीट पर बसपा के घासीराम पटेल, नर्मदापुरम सीट पर दो सगे भाइयों के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले भाजपा के बागी भगवती चौरे, बुरहानपुर में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के बेटे हर्ष चौहान और जोबट सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक माधव सिंह डाबर जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा पर भाजपा की निगाहें टिकी है।