मतदाता का मौन, बढ़ा रहा उम्मीदवारों की चिंता
भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दल जुटे आकलन में
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 37 दिन तक चले चुनाव प्रचार अभियान के बाद भी मतदाता ने अपना मौन नहीं तोड़ा। कहीं पर नाराजगी नजर आई तो कहीं पर भीड़ भी सभाओं में जुटी, लेकिन मतदाता तटस्थ ही नजर आया। इसके चलते चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद उम्मीदवारों की चिंता बढ़ गई है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है, मगर एक दिन पहले 16 नवंबर तक भी राजनीतिक दल मतदाता की नब्ज को नहीं टटोल पाए हैं। सर्वे के आधार पर जरूर जीत का दावा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल कर रहे हैं, मगर मतदाता का मौन उनकी चिंता को बढ़ा रहा है। प्रदेश में कई स्थानों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है तो कई सीटों पर छोटे दलों ने इसे त्रिकोणीय भी बना दिया है। इससे मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस की परेशानी भी खड़ी हो गई है। कुछ स्थानों पर निर्दलीय भी परेशानी को बढ़ा रहे हैं। हालांकि रूठों को मनाने के लिए दोनां ही दलों का आखिर समय तक प्रयास जारी रहा, मगर निर्दलीय भी तटस्थ होकर मैदान में डटे रहे। निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण मालवा अंचल में ज्यादा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। जानकारों की माने तो इस अंचल में निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं।
उम्मीदवार के चेहरे पर हो सकता है मतदान
मतदाता के मौन के चलते राजनीतिक दलों को अनुमान है ि इस बार मतदाता प्रत्याशी के चेहरे को देखकर मतदान कर सकता है। इस मामले में कांग्रेस ने कई स्थानों पर नए चेहरों को मैदान में उतारकर मतदाता के बीच पैठ जमाने का प्रयास किया हैं, वहीं भाजपा ने भी नए चेहरों को मैदान में उतारा है। साथ ही पुराने और अनुभवी नेताओं पर भी भरोसा जताया है। अब ये उम्मीदवार कितने खरे उतरते हैं यह तो मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा। फिलहाल राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो उम्मीदवार का चेहरा ही दलों को परिणाम दिलाएगा।