प्रशांत किशोर की मानें तो बिहार में इन मुद्दों पर लोग करते हैं मतदान?
अभिमनोज. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी जन सुराज यात्रा के तहत पदयात्रा कर रहे हैं और इस दौरान उन्हें जो राजनीतिक ज्ञान मिला है, उनकी मानें तो…. बिहार में सड़कों, अस्पतालों की स्थिति और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर नहीं बल्कि अलग ही मुद्दो पर मतदान होता है?
खबरों पर भरोसा करें तो…. प्रशांत किशोर का कहना है कि- लोग पांच साल बैठकर राज्य में सड़कों, अस्पतालों की स्थिति और भ्रष्टाचार पर चर्चा तो करते हैं, लेकिन जब मतदान होता है, तो इन बातों को भूलकर जाति-धर्म पर वोट डाल देते हैं!
प्रशांत किशोर का कहना है कि- बोट के दिन बिहार में सारे मतदाताओं को चार ही बातें याद रहती हैं, जाति क्या है? और…. मेरी जाति का कौन उम्मीदवार खड़ा है? उसको जाकर वोट दे दें!
जो लोग जाति से बच गए, वो धर्म के नाम पर, हिंदू-मुसलमान के नाम पर वोट देते हैं, जो जाति-धर्म से बच गया वो कह रहा है कि- भईया, इतना खराब हाल है कि क्या करें? रोजगार नहीं, सड़क नहीं, खेत में पानी नहीं, लेकिन लालूजी का जो अपराध वाला जंगलराज था, नहीं चाहिए, लालूजी का जंगलराज आ जाएगा तो फिर अपराध बढ़ जाएगा, इसलिए अच्छा है या खराब, भाजपा को ही वोट?
प्रशांत किशोर कहते हैं कि- पांच बरस बैठकर लोग बिहार की हालत पर बात करते हैं, बिहार में कितना भ्रष्टाचार है, शिक्षा नहीं है, हर साल बाढ़ आती है, रोड खराब है, अस्पताल नहीं है, ये सारी तकलीफों पर बात करते हैं, लेकिन जिस दिन मतदान होता है, उस दिन ये सारी बात भूल जाते हैं!
इसीलिए प्रशांत किशोर का सवाल भी है कि- यही मुद्दें हैं, जिन पर बिहार की जनता वोट करती है, तो आप ही बताईए, जब आप सड़क पर वोट नहीं, अस्पताल और अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए वोट नहीं कर रहे हैं, तो कैसे सुधरेगा बिहार?
सियासी सयानों का मानना है कि प्रशांत किशोर की बातों में दम तो है, लेकिन अब सत्ता के समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं, लिहाजा 20वीं सदी के तौर-तरीकों से 21वीं सदी की चुनावी जंग नहीं जीती जा सकती है?