खजुराहो के जरिए सपा को सफलता की उम्मीद
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सात चुनावों में नहीं खुला खाता, जमानत जब्त कराते रहे प्रत्याशी
भोपाल। प्रदेश में तीसरी शक्ति का दावा करने वाले समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पिछले सात चुनावों में कभी भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। उसका एक भी प्रत्याशी प्रदेश में अब तक नहीं जीता है। इस बार कांग्रेस से गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतर रही सपा को खाता खोलने को बेताब है, लेकिन अब तक प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है।
उत्तर प्रदेश से सटी प्रदेश की सीमा वाले लोकसभा क्षेत्रों में सपा का प्रभार देखा जाता रहा है। मगर इस प्रभाव का असर अब तक प्रदेश के विधानसभा चुनावों में दिखा है, लेकिन लोकसभा चुनाव में कभी भी इसका असर नजर नहीं आया है। यही वजह है कि पिछले सात चुनावों के परिणामों पर नजर डाले तो सपा का एक भी प्रत्याशी प्रदेश में लोकसभा चुनाव में नहीं जीता है। लोकसभा चुनाव का इतिहास देखें तो पार्टी ने कभी भी पूरी सीटों पर प्रत्याशी भी मैदान में नहीं उतारे हैं। हाल यह है कि उसका मत प्रतिशत भी लगातार घटा है और जमानत जब्त कराने वाले प्रत्याशियों की संख्या में भी कमी आई है। इस बार चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सपा खजुराहो सीट पर चुनाव लड़ रही है। इस सीट पर कांग्रेस अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार रही है। इसके चलते सपा को इस बार प्रदेश में खाता खुलने की उम्मीद है।
लगातार घटता रहा प्रभाव
1996 के लोकसभा चुनाव में सपा ने 3 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे। उन्हें प्रदेश में डाले गए मतों में से मात्र 0.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। 1998 से 2019 प्रदेश के चुनाव में सपा ने उम्मीदवार खड़े किए परंतु सभी की जमानत जब्त होती गई। उनके खाते में प्रदेश से कोई सफलता हासिल नहीं हुई। सपा को 1996 के लोकसभा चुनाव में 0.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। इसके बाद 1998 में 0.65, 1999 में 1.37, 2004 में 3.19, 2014 में 0.75 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को 0.22 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं।
भोपाल। प्रदेश में तीसरी शक्ति का दावा करने वाले समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पिछले सात चुनावों में कभी भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। उसका एक भी प्रत्याशी प्रदेश में अब तक नहीं जीता है। इस बार कांग्रेस से गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतर रही सपा को खाता खोलने को बेताब है, लेकिन अब तक प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है।
उत्तर प्रदेश से सटी प्रदेश की सीमा वाले लोकसभा क्षेत्रों में सपा का प्रभार देखा जाता रहा है। मगर इस प्रभाव का असर अब तक प्रदेश के विधानसभा चुनावों में दिखा है, लेकिन लोकसभा चुनाव में कभी भी इसका असर नजर नहीं आया है। यही वजह है कि पिछले सात चुनावों के परिणामों पर नजर डाले तो सपा का एक भी प्रत्याशी प्रदेश में लोकसभा चुनाव में नहीं जीता है। लोकसभा चुनाव का इतिहास देखें तो पार्टी ने कभी भी पूरी सीटों पर प्रत्याशी भी मैदान में नहीं उतारे हैं। हाल यह है कि उसका मत प्रतिशत भी लगातार घटा है और जमानत जब्त कराने वाले प्रत्याशियों की संख्या में भी कमी आई है। इस बार चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सपा खजुराहो सीट पर चुनाव लड़ रही है। इस सीट पर कांग्रेस अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार रही है। इसके चलते सपा को इस बार प्रदेश में खाता खुलने की उम्मीद है।
लगातार घटता रहा प्रभाव
1996 के लोकसभा चुनाव में सपा ने 3 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे। उन्हें प्रदेश में डाले गए मतों में से मात्र 0.8 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। 1998 से 2019 प्रदेश के चुनाव में सपा ने उम्मीदवार खड़े किए परंतु सभी की जमानत जब्त होती गई। उनके खाते में प्रदेश से कोई सफलता हासिल नहीं हुई। सपा को 1996 के लोकसभा चुनाव में 0.8 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। इसके बाद 1998 में 0.65, 1999 में 1.37, 2004 में 3.19, 2014 में 0.75 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को 0.22 फीसदी मत प्राप्त हुए हैं।