इंदौर ने बनाया एक और रिकॉर्ड, नोटा को मिले दो लाख से ज्यादा वोट
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भोपाल। मध्यप्रदेश के इंदौर में नोटा ने दो लाख से ज्यादा वोट पाकर इतिहास रच दिया। इंदौर लोकसभा सीट अब देश की पहली ऐसी लोकसभा सीट बन गई जहां दो लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाया।
इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार शंकर लालवानी चुनाव जीते, मगर यहां पर उनकी जीत के साथ-साथ एक बड़ा रिकार्ड भी बन गया। स्वच्छता के लिए देश में पहचान बनाने वाले इंदौर में इस बार लोकसभा चुनाव में नोटा को वोट देने का इतिहास भी रच दिया। दरअसल इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके बाद कांग्रेस का कोई प्रत्याशी यहां मैदान में नहीं था। बाद में कांग्रेस ने इस सीट पर किसी प्रत्याशी को समर्थन देने के बजाय नोटा को चुना और जनता के बीच इसे अभियान के रूप में चलाया। इस अभियान को जनता का समर्थन भी मिला और परिणाम यह रहा कि आज जब मतगणना हुई तो इंदौर में दो लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया, यह बात सामने आई। इंदौर में नोटा को दो लाख अट्ठारह हजार छह सौ चौहत्तर वोट हासिल हुए हैं।
बिहार के गोपालगंज में मिले थे 51 हजार से ज्यादा नोटा को वोट
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ‘नोटा’ के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में शामिल किया गया था। मतदान का यह विकल्प किसी चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं को सभी उम्मीदवारों को नकारने का विकल्प देता है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘नोटा’ को बिहार की गोपालगंज सीट पर देश भर में सर्वाधिक वोट मिले थे। तब इस क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था और कुल मतों में से करीब पांच प्रतिशत वोट ‘नोटा’ के खाते में गए थे। इससे पहले, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ‘नोटा’ को तमिलनाडु के नीलगिरि में 46,559 वोट मिले थे और ‘नोटा’ ने कुल डाले गए मतों का करीब पांच फीसदी हिस्सा हासिल किया था।
इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार शंकर लालवानी चुनाव जीते, मगर यहां पर उनकी जीत के साथ-साथ एक बड़ा रिकार्ड भी बन गया। स्वच्छता के लिए देश में पहचान बनाने वाले इंदौर में इस बार लोकसभा चुनाव में नोटा को वोट देने का इतिहास भी रच दिया। दरअसल इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। इसके बाद कांग्रेस का कोई प्रत्याशी यहां मैदान में नहीं था। बाद में कांग्रेस ने इस सीट पर किसी प्रत्याशी को समर्थन देने के बजाय नोटा को चुना और जनता के बीच इसे अभियान के रूप में चलाया। इस अभियान को जनता का समर्थन भी मिला और परिणाम यह रहा कि आज जब मतगणना हुई तो इंदौर में दो लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया, यह बात सामने आई। इंदौर में नोटा को दो लाख अट्ठारह हजार छह सौ चौहत्तर वोट हासिल हुए हैं।
बिहार के गोपालगंज में मिले थे 51 हजार से ज्यादा नोटा को वोट
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ‘नोटा’ के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में शामिल किया गया था। मतदान का यह विकल्प किसी चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं को सभी उम्मीदवारों को नकारने का विकल्प देता है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘नोटा’ को बिहार की गोपालगंज सीट पर देश भर में सर्वाधिक वोट मिले थे। तब इस क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं ने ‘नोटा’ का विकल्प चुना था और कुल मतों में से करीब पांच प्रतिशत वोट ‘नोटा’ के खाते में गए थे। इससे पहले, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ‘नोटा’ को तमिलनाडु के नीलगिरि में 46,559 वोट मिले थे और ‘नोटा’ ने कुल डाले गए मतों का करीब पांच फीसदी हिस्सा हासिल किया था।