दर्जनभर सीटों पर लोकसभा में दिख सकते हैं नए चेहरे
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भाजपा संगठन और संघ जुटा रणनीति बनाने में
भोपाल। मध्यप्रदेष में भाजपा और संघ ने लोकसभा चुनाव के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। इस बार भाजपा ने 60 फीसदी वोट पाने और प्रदेष की सभी 29 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके चलते संघ और भाजपा संगठन अभी से मैदानी कसावट करने की रणनीति बना रहा है।
प्रदेष में विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद अब भाजपा का लक्ष्य प्रदेष में लोकसभा चुनाव में जीत का है। इसके लिए भाजपा संगठन को पहले ही केन्द्रीय नेतृत्व लक्ष्य दे चुका है। इसके तहत भाजपा संगठन बूथ स्तर पर अपनी रणनीति के तहत कार्य भी कर रहा है। इस बार भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 60 फीसदी मत पाने का लक्ष्य रखा है। जबकि प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर भाजपा मैदानी जमावट में जुटी है। भाजपा के लिए प्रदेष की इकलौती लोकसभा सीट छिंदवाड़ा ऐसी है, जहां उसे जीत के लिए मेहनत करनी पड़ रही है। वैसे भाजपा यहां पर पिछले 2018 के लोकसभा चुनाव से मेहनत कर रही है। 2018 में छिंदवाड़ा को छोड़ भाजपा ने प्रदेष की सभी 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें कांग्रेस की गढ़ वाली राजगढ़ और गुना सीट भी षामिल थी।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए इस बार फिर संघ के साथ मिलकर तैयारियां तेज कर दी है। संघ और भाजपा को जो फीडबैक मैदानी स्तर से मिला है, इसी को ध्यान में रखते हुए 2023 की रणनीति बनाई जा रही है। जीत हासिल करने के लिए सत्ता और संगठन के पदाधिकारियों को नए सिरे से जिम्मेदारी और कार्यक्रम सौंपे जाएंगे।
जिताऊ प्रत्याशियों पर फोकस
संघ और भाजपा का पूरा फोकस इस बार जिताऊ प्रत्याशियों पर है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सात सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें से पांच को जीत हासिल हुई, जबकि दो सांसद चुनाव हार गए थे। इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि चुनाव हारे सतना और मंडला के सांसदों के सामने टिकट का संकट खड़ा हो सकता है। वहीं सीधी, दमोह, मुरैना, नर्मदापुरम और जबलपुर में चेहरे बदला जाना तय है। इन सीटों पर सांसद जीतकर विधायक बन गए हैं। इसके अलावा भाजपा, मंदसौर, राजगढ़, सागर और रीवा सीटों पर भी भाजपा संगठन, संघ की राय के चलते चेहरे बदलने का मन बना रहा है।
भोपाल। मध्यप्रदेष में भाजपा और संघ ने लोकसभा चुनाव के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। इस बार भाजपा ने 60 फीसदी वोट पाने और प्रदेष की सभी 29 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके चलते संघ और भाजपा संगठन अभी से मैदानी कसावट करने की रणनीति बना रहा है।
प्रदेष में विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद अब भाजपा का लक्ष्य प्रदेष में लोकसभा चुनाव में जीत का है। इसके लिए भाजपा संगठन को पहले ही केन्द्रीय नेतृत्व लक्ष्य दे चुका है। इसके तहत भाजपा संगठन बूथ स्तर पर अपनी रणनीति के तहत कार्य भी कर रहा है। इस बार भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 60 फीसदी मत पाने का लक्ष्य रखा है। जबकि प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर भाजपा मैदानी जमावट में जुटी है। भाजपा के लिए प्रदेष की इकलौती लोकसभा सीट छिंदवाड़ा ऐसी है, जहां उसे जीत के लिए मेहनत करनी पड़ रही है। वैसे भाजपा यहां पर पिछले 2018 के लोकसभा चुनाव से मेहनत कर रही है। 2018 में छिंदवाड़ा को छोड़ भाजपा ने प्रदेष की सभी 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें कांग्रेस की गढ़ वाली राजगढ़ और गुना सीट भी षामिल थी।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए इस बार फिर संघ के साथ मिलकर तैयारियां तेज कर दी है। संघ और भाजपा को जो फीडबैक मैदानी स्तर से मिला है, इसी को ध्यान में रखते हुए 2023 की रणनीति बनाई जा रही है। जीत हासिल करने के लिए सत्ता और संगठन के पदाधिकारियों को नए सिरे से जिम्मेदारी और कार्यक्रम सौंपे जाएंगे।
जिताऊ प्रत्याशियों पर फोकस
संघ और भाजपा का पूरा फोकस इस बार जिताऊ प्रत्याशियों पर है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सात सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें से पांच को जीत हासिल हुई, जबकि दो सांसद चुनाव हार गए थे। इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि चुनाव हारे सतना और मंडला के सांसदों के सामने टिकट का संकट खड़ा हो सकता है। वहीं सीधी, दमोह, मुरैना, नर्मदापुरम और जबलपुर में चेहरे बदला जाना तय है। इन सीटों पर सांसद जीतकर विधायक बन गए हैं। इसके अलावा भाजपा, मंदसौर, राजगढ़, सागर और रीवा सीटों पर भी भाजपा संगठन, संघ की राय के चलते चेहरे बदलने का मन बना रहा है।