मंडी समितियों के चुनाव की तैयारी में सरकार
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भोपाल। प्रदेश की मंडियों में समितियों के चुनाव भी सहकारिता के चुनाव की तरह अटके पड़े हैं। इस बार सरकार समितियों के चुनाव कराने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि बारिश के बाद जल्द ही मंडी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे।
प्रदेश की मंडियों में जनवरी 2019 में समितियां भंग कर दी गईं, तब से प्रशासनिक अधिकारी ही मंडियों के प्रशासक हैं। जबकि, स्पष्ट प्रावधान है कि समिति का कार्यकाल दो बार छह-छह माह तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन चुनाव टाल दिये गये। यही स्थिति सहकारी समितियों की है। यहां भी अधिकारी ही प्रशासक हैं। सहकारिता के चुनाव भी बार-बार तैयारी के बाद भी कराए नहीं जा सके। लेकिन इस बार मंडी समितियों के चुनाव के लिए कृषि विभाग का अमला सक्रियता दिखा रहा है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री डा मोहन यादव खुद ये चुनाव कराने के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि संस्थाओं को चला सकें. उन्हें स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर भी नीतियां बनानी चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर अधिकारियों ने तैयारी ष्शुरू की है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के 259 मंडियों में बारिश के बाद चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों की माने तो मानसून सीजन के बाद चुनाव कराने की तैयारी है, लेकिन पहले अधिकारियों के स्थान पर किसानों के प्रतिनिधियों को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है।
प्रदेश की मंडियों में जनवरी 2019 में समितियां भंग कर दी गईं, तब से प्रशासनिक अधिकारी ही मंडियों के प्रशासक हैं। जबकि, स्पष्ट प्रावधान है कि समिति का कार्यकाल दो बार छह-छह माह तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन चुनाव टाल दिये गये। यही स्थिति सहकारी समितियों की है। यहां भी अधिकारी ही प्रशासक हैं। सहकारिता के चुनाव भी बार-बार तैयारी के बाद भी कराए नहीं जा सके। लेकिन इस बार मंडी समितियों के चुनाव के लिए कृषि विभाग का अमला सक्रियता दिखा रहा है। सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री डा मोहन यादव खुद ये चुनाव कराने के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि संस्थाओं को चला सकें. उन्हें स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर भी नीतियां बनानी चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर अधिकारियों ने तैयारी ष्शुरू की है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के 259 मंडियों में बारिश के बाद चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों की माने तो मानसून सीजन के बाद चुनाव कराने की तैयारी है, लेकिन पहले अधिकारियों के स्थान पर किसानों के प्रतिनिधियों को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है।