युवा पीढ़ी को आगे लाना चाह रही कांग्रेस
लोकसभा के लिए घोषित दस प्रत्याशियों में से नौ की उम्र पचास से कम
भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के बाद मिली करारी हार के बाद पीढ़ी परिवर्तन करने का काम करते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कमान युवा जीतू पटवारी को सौंपी। साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी उमंग सिंघार को दी। इसके बाद अब लोकसभा चुनाव के लिए घोशित किए दस प्रत्याशियें में भी पीढ़ी परिवर्तन का असर दिखा है। पार्टी ने घोषित किए प्रत्याशियों में से नौ प्रत्याशी ऐसे घोशित किए हैं जिनकी उम्र पचास से कम है।
लोकसभा चुनाव को लेकर एक ओर जहां पार्टी में लगातार दिग्गजों को मैदान में उतारने की बात कही जा रही थी। कांग्रेस के ही नेता लगातार इस तरह की मांग कर रहे थे, मगर पार्टी का राश्टीय नेतृत्व अब लगता है कि पूरी तरह से प्रदेश में पीढ़ी परिवर्तन करना चाहता है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के लिए अब तक कांग्रेस ने जिन दस प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, उनके अनुभव, क्षेत्र में पहचान और उम्र का भी ध्यान रखा है। कांग्रेस द्वारा अब तक एक सूची जारी कर प्रदेश के दस लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की घोषणा की है। इनमें दस में से नौ प्रत्याशियों की उम्र देखी जाए तो पचास से कम की उम्र है। केवल एक प्रत्याशी भिंड से फूल सिंह बरैया ही ऐसे हैं, जिनकी उम्र पचास से उपर यानि 62 साल है। जबकि छिंदवाड़ा से नकुलनाथ 49, देवास से राजेन्द्र मालवीय भी करीब 49, सीधी से कमलेश्वर पटेल 49, मंडला से ओंकार सिंह मरकाम 47, टीकमगढ़ से पंकज अहिरवार 42, सतना से सिद्धार्थ कुशवाह 39, बैतूल से रामू टेकाम 36 है। जबकि खरगोन से पोरिलाल खर्ते और धार से राधेश्याम मुवेल भी युवा चेहरों के रूप में मैदान में उतारे गए हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने प्रदेश में उठ रही दिग्गज नेताओं को टिकट दिए जाने की मांग को नकारते हुए पहली सूची में जिस तरह से प्रत्याशियों को उम्र के आधार पर मैदान में उतारा है, उससे साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेस ने अब जो 18 प्रत्याशी घोशित होंगे उनमें भी पार्टी नेतृत्व अधिकांश स्थानों पर युवाओं और नए चेहरों पर दाव लगाता नजर आ सकता है। कुछ चेहरे जरूर उम्रदराज हो सकते हैं। वह इसलिए भी कि पार्टी नेता अनुभव और युवा एवं नए चेहरों के साथ संगठन को आगे बढ़ाने की मंशा रख रहा है।
मार्गदर्शन करते नजर आएंगे बुजुर्ग नेता
पार्टी नेताओं का कहना है कि राश्टीय नेतृत्व ने अब साफ कर दिया है कि प्रदेश में कांग्रेस पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजरेगी। बुजुर्ग नेताओं को युवा नेताओं के साथ मिलकर काम करते हुए उनका मार्गदर्शन करना होगा, ताकि नई पार्टी में नई पीढ़ी को सक्रिय किया जा सके। पार्टी नेताओं का कहना है कि अनुभव वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा अन्य नेताओं को यह जिम्मेदारी दी जा रही है कि वे प्रदेश में नई पीढ़ी को मैदानी सक्रियता बढ़ाने के लिए प्रेरित करें और परिपक्व राजनेता बनें।