विंध्य की दो सीटों पर फिर बढ़त बनाने की तैयारी में बसपा
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नरायण त्रिपाठी, बुद्धसेन पटेल को दिलाई पार्टी की सदस्यता
भोपाल। प्रदेश के विंध्य की सतना और रीवा लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी फिर अपना इतिहास दोहराने की तैयारी कर रही है। इसके चलते प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के पहले बसपा ने दोनों सीटों पर नाराज चल रहे नेताओं को अपने साथ कर लिया है। सतना में नारायण त्रिपाठी और रीवा में बुद्धसेन पटेल बसपा के प्रत्याशी हो सकते हैं। दोनों नेताओं ने आज बसपा की सदस्यता ले ली है।
विंध्य अंचल की दो लोकसभा सीटों सतना और रीवा पर बसपा का खासा प्रभाव रहा है। इन सीटों पर लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। बसपा इस बार भी लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन करने के मजबूत प्रत्याशी तलाश रही थी। इसके तहत आज उसने दोनों सीटों के लिए प्रत्याशी चयन कर लिए हैं। हालांकि अभी प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा नहीं की है, मगर जिस तरह से सतना लोकसभा सीट के लिए मैहर से विधायक रहे ब्राह्मण नेता नारायण त्रिपाठी और रीवा से सांसद रहे बुद्धसेन पटेल को बसपा की सदस्यता दिलाई है, उससे संकेत दे दिए हैं कि दोनों ही नेताओं को वह प्रत्याशी बना रही है। दोनों नेताओं ने आज बसपा प्रदेष कार्यायल में पार्टी की सदस्यता ले ली है। नारायण त्रिपाठी ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं में अगर सेंध लगाने में कामयाब रहे तो इस सीट पर बड़ा उलटफेर होने की संभावना जताई जा रही है। इसके चलते बसपा सुप्रीमों ने त्रिपाठी को बसपा में षामिल करने की हरी झंडी दी है। नारायन त्रिपाठी चार बार के विधायक है, बीते 2023 विधानसभा में भाजपा से बागी होकर विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव हार गए थे। वे निर्दलीय, समाजवादी, कांग्रेस और भाजपा से विधायक रहे है।
दोनों सीटों पर जीतते रहे है बसपा प्रत्याशी
गौरतलब है कि सतना संसदीय सीट पर बसपा को अब तक हुए चुनावों में केवल एक बार जीत हासिल हुई हैं्र। 1996 के चुनाव में इस सीट पर बसपा के सुखलाल कुशवाहा ने जीत हासिल की थी। कुशवाहा ने इस चुनाव में प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और वीरेंद्र कुमार सखलेचा को चुनाव हराया था। इसके बाद यह सीट चर्चा में आ गई थी। बसपा की इस सीट पर यह धमाकेदार जीत थी। रीवा लोकसभा सीट पर बसपा ने 1991 में भीमसेन पटेल, 1996 में बुद्धसेन पटेल ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2009 में बसपा के देवराज पटेल चुनाव जीते थे। बसपा को इन दोनों ही सीटों पर अपना परंपरागत वोट बैंक रहा है, जिसके दम पर वह जीत हासिल करती रही है।
भोपाल। प्रदेश के विंध्य की सतना और रीवा लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी फिर अपना इतिहास दोहराने की तैयारी कर रही है। इसके चलते प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के पहले बसपा ने दोनों सीटों पर नाराज चल रहे नेताओं को अपने साथ कर लिया है। सतना में नारायण त्रिपाठी और रीवा में बुद्धसेन पटेल बसपा के प्रत्याशी हो सकते हैं। दोनों नेताओं ने आज बसपा की सदस्यता ले ली है।
विंध्य अंचल की दो लोकसभा सीटों सतना और रीवा पर बसपा का खासा प्रभाव रहा है। इन सीटों पर लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। बसपा इस बार भी लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन करने के मजबूत प्रत्याशी तलाश रही थी। इसके तहत आज उसने दोनों सीटों के लिए प्रत्याशी चयन कर लिए हैं। हालांकि अभी प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा नहीं की है, मगर जिस तरह से सतना लोकसभा सीट के लिए मैहर से विधायक रहे ब्राह्मण नेता नारायण त्रिपाठी और रीवा से सांसद रहे बुद्धसेन पटेल को बसपा की सदस्यता दिलाई है, उससे संकेत दे दिए हैं कि दोनों ही नेताओं को वह प्रत्याशी बना रही है। दोनों नेताओं ने आज बसपा प्रदेष कार्यायल में पार्टी की सदस्यता ले ली है। नारायण त्रिपाठी ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं में अगर सेंध लगाने में कामयाब रहे तो इस सीट पर बड़ा उलटफेर होने की संभावना जताई जा रही है। इसके चलते बसपा सुप्रीमों ने त्रिपाठी को बसपा में षामिल करने की हरी झंडी दी है। नारायन त्रिपाठी चार बार के विधायक है, बीते 2023 विधानसभा में भाजपा से बागी होकर विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव हार गए थे। वे निर्दलीय, समाजवादी, कांग्रेस और भाजपा से विधायक रहे है।
दोनों सीटों पर जीतते रहे है बसपा प्रत्याशी
गौरतलब है कि सतना संसदीय सीट पर बसपा को अब तक हुए चुनावों में केवल एक बार जीत हासिल हुई हैं्र। 1996 के चुनाव में इस सीट पर बसपा के सुखलाल कुशवाहा ने जीत हासिल की थी। कुशवाहा ने इस चुनाव में प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और वीरेंद्र कुमार सखलेचा को चुनाव हराया था। इसके बाद यह सीट चर्चा में आ गई थी। बसपा की इस सीट पर यह धमाकेदार जीत थी। रीवा लोकसभा सीट पर बसपा ने 1991 में भीमसेन पटेल, 1996 में बुद्धसेन पटेल ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2009 में बसपा के देवराज पटेल चुनाव जीते थे। बसपा को इन दोनों ही सीटों पर अपना परंपरागत वोट बैंक रहा है, जिसके दम पर वह जीत हासिल करती रही है।
जातिगत समीकरण साधने की कवायद
बसपा सतना में सामान्य वर्ग से आने वाले नारायण त्रिपाठी को चुनाव लड़ाकर न केवल सियासी समीकरण साधना चाहती है, बल्कि वह जातिगत समीकरणों को भी साधने में जुटी है। त्रिपाठी विंध्य अंचल में बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर पहचान रखते हैं, ऐसे में बसपा को बड़ा ब्राह्मण चेहरा भी मिला है, क्योंकि सतना लोकसभा सीट से बसपा एक बार चुनाव जीत चुकी है।
बसपा सतना में सामान्य वर्ग से आने वाले नारायण त्रिपाठी को चुनाव लड़ाकर न केवल सियासी समीकरण साधना चाहती है, बल्कि वह जातिगत समीकरणों को भी साधने में जुटी है। त्रिपाठी विंध्य अंचल में बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर पहचान रखते हैं, ऐसे में बसपा को बड़ा ब्राह्मण चेहरा भी मिला है, क्योंकि सतना लोकसभा सीट से बसपा एक बार चुनाव जीत चुकी है।