सपा, बसपा और बागी बिगाड़ रहे समीकरण
बुंदेलखंड में भाजपा, कांग्रेस दोनों की बढ़ रही मुसीबत
भोपाल। बुंदेलखंड अंचल की 26 सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी हैं। मगर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और बागी नेताओं ने इन दलों की परेशानी को बढ़ा दिया है। 2008 से भाजपा को मिल रही इस अंचल में बढ़त को बरकरार रखने के लिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है, तो कांग्रेस भी इस अंचल में बढ़त पाने के लिए लगातार सक्रियता दिखा रही है।
विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा और सपा पूरी ताकत के साथ मैदान में नजर आ रही है। वहीं भाजपा और कांग्रेस के बागियों ने भी कुछ स्थानों पर दोनों दलों के समीकरणों को बिगाड़ दिया है। बागी नेता जीत पाने में कितने कामयाब होते हैं, यह तो परिणाम बताएगा, मगर फिलहाल स्थिति को देखते हुए ये अपने पुराने दलों को नुकसान जरूर पहुंचाने का काम करते नजर आ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस इन अंचल में चुनाव के चार माह पहले से सक्रियता दिखा रहे हैं। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़के चुनाव की घोशणा के पहले इस अंचल में सभाएं कर इस बात का संदेश दे चुके थे ि कइस अंचल में दोनों ही दल अपने पेठ जमाने के लिए आतुर हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को इस अंचल की कमान चुनाव की घोषणा के पहले ही सौंप दी थी। दोनों ने यहां पर जातिगत समीकरण बैठाते हुए कांग्रेस को एकजुट करने का काम तो किया, मगर प्रत्याशी चयन के बाद माहौल में पहले जैसी स्थिति नजर नहीं आई। भाजपा भी तीन मंत्रियों गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और गोविंद राजपूत को पहले से सक्रिय कर चुकी थी, मगर वर्तमान में तीनों मंत्री अपने क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं, अंचल में वे ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा पा रहे हैं। वहीं पिछड़े वर्ग के नेता और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को गाड़रवारा से उतारने के बाद इस अंचल में उनकी सक्रियता भी कम हुई है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती स्वास्थ्यगत कारणों से अभी तक सक्रिय नहीं रही है। इसका असर भाजपा पर पड़ता नजर आ रहा है। वैसे कांग्रेस के नेताओं की सक्रियता भी अभी यहां नजर नहीं आई है।
बसपा, सपा के बड़े नेता हुए सक्रिय
बसपा और सपा के बड़े नेता मायावती और अखिलेश यादव इस अंचल में अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं। दोनों ही दलों ने उत्तर प्रदेश के नेताओं को यहां मैदान में उतार दिया है। ये नेता मैदानी स्तर पर जमावट करते हुए जातिगत आधार पर अपने प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल तैयार कर रहे हैं। हालांकि कुछ ही सीटांं पर इन दलों के प्रत्याशियों का असर है, वहीं भाजपा और कांग्रेस के बागी हुए नेताओं ने यहां पर कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी का सहारा लेकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
2008 से अब तक सीटों का गणित
2008 में भाजपा को 26 सीटों में से 14, कांग्रेस को 07, जनशक्ति पार्टी को 2 और एक सपा और एक निर्दलीय को जीत हासिल हुई थी।
2013 में भाजपा को 26 सीटों में से 20 और कांग्रेस को 06 सीटें मिली थी।
2018 में भाजपा को 18, कांग्रेस को 07 और बसपा को एक सीट मिली थी।