छिंदवाड़ा के बाद भाजपा के लिए चुनौती खड़ी करेगा राजगढ़
दिग्विजय सिंह के मैदान में आने बदला है परिदृश्य
भोपाल। प्रदेश में छिंदवाड़ा एक मात्र सीट पर भाजपा को पूरा फोकस था। भाजपा को लेकर इस एक सीट पर ही चुनौती महसूस हो रही थी। मगर दिग्विजय सिंह के राजगढ़ से मैदान में उतरने के बाद भाजपा के लिए अब दूसरी चुनौती के रूप में राजगढ़ संसदीय सीट हो गई है। इस सीट पर प्रत्याशी घोशित होने के बाद जिस तरह से दिग्विजय सिंह सक्रियता दिखाई है, उसे लेकर भाजपा के समीकरण भी यहां बिगड़ते नजर आ रहे हैं। छिंदवाड़ा में पहले चरण के मतदान के बाद इस सीट पर दिग्विजय को घेरने भाजपा अपनी सक्रियता बढ़ाएगी।
प्रदेश में पहले भाजपा को सिर्फ एक सीट छिंदवाड़ा पर ही चुनौती के आसार थे। इसके पीछे कारण था कि दिग्विजय सिंह ने चुनाव मैदान में उतरने से माना कर दिया था। मगर जब दिग्विजय सिंह कांग्रेस ने इस सीट पर मैदान में उतरा तो भाजपा के लिए यह सीट छिंदवाड़ा के बाद चुनौती बन गई। प्रत्याशी घोशित होने के बाद जिस तरह से दिग्विजय सिंह ने इस सीट पर सक्रियता दिखाई है, उससे भाजपा संगठन अब चिंतित होते नजर आ रहा है। दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं के बीच एक बार फिर पैठ जमाने लगातार बैठकें जारी रखी है। साथ ही अब वे इन दिनों पद यात्रा कर लोगों से फिर अपने 30 साल पुराने रिश्ते को प्रगाढ़ करते नजर आ रहे हैं। इससे कांग्रेस के घर बैठे कार्यकर्ता और नेता भी एक बार फिर मैदान में नजर आया है। कुल मिलाकर कांग्रेस संगठन की सक्रियता एक सप्ताह में यहां पर पहले के अपेक्षा ज्यादा नजर आने लगी है। भाजपा की चिंता का बड़ा कारण भी यही है। भाजपा संगठन छिंदवाड़ा में मतदान के बाद इस सीट पर पूरी तरह से फोकस करने की तैयारी में हैं।
खुद को साबित करने की चुनौती
दिग्विजय सिंह के सामने एक बार फिर इस चुनाव में लहर के विपरीत खुद को साबित करने की चुनौती भी है। तीन जिलों गुना, राजगढ़ और सुसनेर की आठ विधानसभा सीटों से बनी यह लोकसभा सीट पर वर्तमान में छह सीटें भाजपा के कब्जे में है। जबकि दो सीटों पर ही कांग्रेस का कब्जा है। सिंह के लिए यह चुनौती है कि भाजपा के कब्जे वाली विधानसभा सीटों पर वे किस तरह अपने समीकरण बैठाकर कांग्रेस के पक्ष में लाते हैं। हालांकि सिंह ने भाजपा के पक्ष में बने माहौल को अपने पक्ष में लाने के लिए एक बार फिर पुराना दांव पदयात्रा का खेला है। इन दिनों वे पदयात्रा के जरिए आम मतदाता के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता तक पहुंचकर अपनी पकड़ मजबूत करने का काम कर रहे हैं। साथ ही अपने गढ़ में पहुंचकर लोगां के बीच अपने पुराने संबंधों को भी वे प्रगाढ़ करने का प्रयास कर रहे हैं। सिंह को भरोसा है कि वे अपने इस दांव से भाजपा को चुनौती दे पाएंगे।