पच्चीस साल से पांच सीटों पर खाता खोलने तरस रही कांग्रेस
भाजपा के लिए बन गई गढ़, हर बार कांग्रेस को मिलती है हार
भोपाल। राज्य की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चाहकर भी पच्चीस साल से लोकसभा चुनाव में अब तक जीत हासिल नहीं कर पाई है। इंदौर, भोपाल, भिंड, विदिशा और दमोह लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने कई बाद दिग्गजों के सहारे जीत के प्रयास किए, मगर व ेअब तक असफल ही रहे हैं। ये पांच सीटें अब भाजपा के लिए गढ़ मानी जाती है। इसके चलते भाजपा वहां जिसे भी मैदान में उतारती है, चाहे वह कमजोर प्रत्याशी ही क्यों ना हो, उसे जीत हासिल होती रही है।
प्रदेश में 1989 के लोकसभा चुनाव में इंदौर, भोपाल, भिंड, विदिशा, दमोह लोकसभा सीटों पर भाजपा ने परचम फहराया था। इसके बाद से अब तक भाजपा के कब्जे में ये सीटें हैं। भाजपा के हाथ से इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस के कई बार प्रयास किए, मगर इन सीटों पर जीत हासिल नहीं कर पाई। इंदौर संसदीय सीट पर 1984 में प्रकाश चंद्र सेठी सांसद बने। इसके बाद 1989 में इस सीट पर भाजपा ने सुमित्रा महाजन को मैदान में उतारा। वे पहली बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में यहां से जीती। इसके बाद से इस सीट पर वे लगातार 2014 तक चुनाव जीतती रही। 2019 में उनके स्थान पर भाजपा ने ष्शंकर लालवानी को मैदान में उतारा। वे भी इस सीट पर चुनाव जीते। इसी तरह भोपाल सीट पर 1989 में सुशील चंद्र वर्मा ने जीत हासिल की। इसके बाद से अब तक कांग्रेस इस सीट पर जीत के लिए मशक्कत करती रही है। 2019 में कांग्रेस ने इस सीट पर दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा, मगर वे भी जीत हासिल नहीं कर पाए। विदिशा संसदीय सीट पर भी 1989 में राघवजी जीते। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने भी इस सीट पर 1991 के चुनाव में जीत हासिल की। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चार बार यहां चुनाव जीते। इस सीट पर भी 1989 के बाद से अब तक कांग्रेस जीत का इंतजार कर रही है। इसी तरह भिंड लोकसभा सीट पर भाजपा ने 1989 में पहली बार जीत हासिल की। इसके बाद से अब तक वह यहां जीतती आ रही है।
बुंदेलखंड की दमोह लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने पहली बार 1989 में जीत हासिल की थी। इस चुनाव में लोकेन्द्र सिंह यहां से जीत हासिल कर सांसद बने थे। इसके बाद से 2019 के लोकसभा चुनाव तक भाजपा को ही इस सीट पर जीत हासिल होती रही है। कांग्रेस ने कई बार जातिगत समीकरण बैठाते हुए यहां प्रत्याशी मैदान में उतारे, मगर अब तक उसे सफलता इस सीट पर हासिल नहीं हुई।