नेपाल की कालीगंडकी नदी की शालिग्राम शिला से अयोध्या में तराशी जाएगी भगवान श्रीराम की प्रतिमा
अयोध्या. उत्तर प्रदेश की रामनगरी अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के निर्माण में नेपाल के जनकपुर का जानकी मंदिर एक बड़ा योगदान देने जा रहा है. भगवान राम की प्रतिमा निर्माण के लिए नेपाल की कालीगंडकी नदी से शालिग्राम शिला के दो बड़े टुकड़े अयोध्या लाये जा रहे हैं. नेपाल के कालीगंडकी नदी से 350-400 टन वजन का विशाल शालिग्राम चट्टान का टुकड़ा 31 जनवरी को अयोध्या भेजा जाएगा. इस शिला का परिक्षावन 30 जनवरी में जनकपुर में किया जाएगा. उसके बाद सड़क मार्ग से अयोध्या भेजा जाएगा.
इतना ही नहीं नेपाल के जनकपुर की जानकी मंदिर से जुड़े लोगों ने भगवान राम को धनुष बनाकर देने की पेशकश भी की थी. इस बावत विगत 30 जुलाई को नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विमलेंद्र निधि और जानकी मंदिर जनकपुर के महंत रामतपेश्वर दास के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने नेपाली जनता की ओर से अयोध्या जाकर श्री रामजन्मभूमि न्यास तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय, स्वामी गोविंददेव गिरी और निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र से मिलकर अपनी इच्छा को प्रकट किया.
नेपाली जनता की भावना को आदर करते हुए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कालीगंडकी नदी से शिला मंगवाने के लिए जानकी मंदिर को पत्र लिखकर अग्रिम कार्यवाई के लिए आग्रह किया. पत्र में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय की तरफ से जानकी माता मंदिर को 2 पत्र लिखकर कालीगंडक नदी की शिलाखंड और श्रीराम का धनुष भेंट करने का उनके आग्रह को स्वीकृति दी गई है. चंपत राय द्वारा कालीगंडकी प्रवाह से शिला भेजने का आग्रह वाला पहला पत्र 5 नवंबर को लिखा गया है, जबकि जानकी मंदिर जनकपुर को श्रीराम के लिए धनुष भेंट करने संबंधी पत्र 7 नवंबर को भेजा गया है.
जानकारी के अनुसार नेपाल के कालीगंडकी नदी से शिला ढूंढकर निकलने का काम पूरा हो चुका है. कालीगंडकी नदी के बिल्कुल किनारे पूरे विधि विधान के साथ मंत्रोच्चारण की ध्वनि के बीच अयोध्या लाने के लिए शिला का पूजन किया गया. कालीगंडकी नदी के किनारे पर चले पूजा कार्य में उस प्रांत के गवर्नर, मुख्यमंत्री, जानकी मंदिर के पुजारी और अयोध्या से नेपाल पहुंचे वीएचपी के वरिष्ठ अधिकारी राजेंद्र पंकज दिखाई दिए. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में नेपाल की ओर से शिला और भगवान राम का धनुष भेंट किए जाने पर नेपाल के पूर्व गृहमंत्री विमलेंद्र निधि संतुष्ट हैं. उनका मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच पहले से ही चला आ रहा ऐतिहासिक रिश्ता और संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे.
श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के तरफ से नेपाल की कालीगंडकी नदी से शिलाखंड महत्वपूर्ण इसलिए है कि सनातन धर्म में भगवान विष्णु के प्रतीक रूप में पूजे जाने वाले शालिग्राम उसी नदी से निकलते हैं. कालीगंडकी नदी के शालिग्राम बेस्ट क्वालिटी के माने जाते हैं और कहा जाता है कि ये इतना मजबूत होते हैं कि किसी भी प्राकृतिक दुर्घटना से उनको क्षति नहीं पहुंच सकती. शालिग्राम वाली शिला किसी भी संगमरमर से अधिक मजबूत होती है. वैसे तो भारत में भी शालिग्राम नर्मदा नदी से भी निकलते हैं, लेकिन कालीगंडकी वाले शालिग्राम की गुणवत्ता बहुत ही अच्छी है.
बहरहाल कालीगंडकी का शिलाखंड अयोध्या भेजा तो जा रहा है, लेकिन उस शीलाखंड का इस्तेमाल किस काम के लिए होगा ये अभी स्पष्ट नहीं है. श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के नीति निर्धारकों का मानना है कि उन्होंने खुद से कोई पहल नहीं की है बल्कि नेपाल के करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए उन्होंने जानकी मंदिर से बातचीत की है. मगर अभी ये तय नहीं किया कि भगवान राम की मूर्ति किस पत्थर से बनाई जाएगी और उनके धनुष किस चीज से बनेगा और उसका शेप साइज क्या होगा, किस धातु का होगा लेकिन नेपाली जनता की भावना का आदर है.