1950 में पहली बार इरविन स्टेडियम में निकली थी गणतंत्र दिवस परेड, अब तक हुए कई बदलाव
नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) 26 जनवरी को अपना 74वां गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) मनाएगा। पहली बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) कर्तव्य पथ पर राष्ट्रीय ध्वज (national flag on duty path) फहराएंगी। बता दें कि कर्तव्य पथ को पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था, लेकिन सरकार ने इसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया। ऐसे में आपको गणतंत्र दिवस के बारे में दिलचस्प बात बताएंगे।
1950 को लागू हुआ था संविधान
दरअसल, 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। इसी के उपलक्ष्य में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हैं। इसके बाद परेड निकाली जाती है। जिसमें भारतीय सेना के जवान हिस्सा लेते हैं।
पहली बार इरविन स्टेडियम में निकली थी गणतंत्र दिवस परेड
26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस समारोह इरविन स्टेडियम में मनाया गया था। जिसे आज नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। उस दौरान स्टेडियम की चारदीवारी नहीं थी। इरविन स्टेडियम से पुराना किला साफ दिखाई देता था।
1954 तक अलग-अलग जगहों पर मनाया गया गणतंत्र दिवस
साल 1954 तक गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन अलग-अलग जगह पर किया जाता रहा। गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन स्टेडियम, किंग्सवे (राजपथ), लालकिला और रामलीला मैदान में भी किया गया। हालांकि, साल 1955 से गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राजपथ (कर्तव्य पथ) को चुना गया। जिसके बाद से ही हर साल यहां गणतंत्र दिवस का आयोजन किया जाता है। बता दें कि परेड की शुरुआत रायसिना हिल्स से होती है और वह राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला तक जाती है।
15 हजार लोगों ने लिया था हिस्सा
बताया जाता है पहली गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए स्टेडियम में करीब 15 हजार लोग मौजूद थे। इस परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने भी हिस्सा लिया था। इसके अलावा सेना के सात बैंड भी गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए थो। यह परंपरा आज भी कायम है।
मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा पहले गणतंत्र दिवस से है जारी
बता दें कि पहली बार जब गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन किया गया था तो तब से ही मुख्य अतिथि बुलाने की परंपरा बनाई गई थी। ये परंपरा आज भी जारी है। गणतंत्र दिवस के मौके पर दूसरे देशों के राष्ट्रध्यक्षों को बुलाया जाता है। पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति थे।
राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की दी जाती है सलामी
बताते चलें कि गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह सलामी राष्ट्रगान के शुरूआत से 52 सेकेंड तक होती है।