नदियों के प्रवाह को रोकना, जीवन के प्रवाह को रोकने जैसा
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मुख्यमंत्री ने जल गंगा संवर्धन अभियान का किया शुभारंभ
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में माना गया है कि पृथ्वी पर्वत नदी पेड़-पौधों में जीवंतता है और वे हमारे लिए पूज्यनीय हैं। जिस प्रकार मानव देह में धमनियों के माध्यम से रक्त का संचार होता है उसी प्रकार नदियां पृथ्वी पर जीवन का संचार करती हैं। अतः हम सबके लिए नदियों का अक्षुण्ण निरंतर प्रवाह आवश्यक है। नदियों के प्रवाह को दूषित करना या उनमें अवरोध उत्पन्न करना जीवन में अवरोध उत्पन्न करने के समान है। इस दृष्टि से जल स्रोतों का संरक्षण मानव जीवन के लिए आवश्यक है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव विश्व पर्यावरण दिवस पर रायसेन जिले में झिरी बहेडा स्थित बेतवा नदी के उद्गम स्थल पर जल गंगा संवर्धन अभियान के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बेतवा नदी के उद्गम स्थल की पूजा-अर्चना कर तथा बरगद का पौधा रोपकर जल गंगा संवर्धन अभियान का शुभारंभ किया। अभियान का समापन 16 जून को गंगा दशहरे के अवसर पर उज्जैन में होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेतवा नदी का उद्गम भोपाल के पास से ही होता है और यहां का जल गंगा बेसिन में मिलता है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल पहुंचने पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों के साथ कलश यात्रा निकालकर स्थानीय महिलाओं ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री के साथ जनजातीय भाई-बहनों ने 108 पौधों का रोपण किया।
प्रत्येक जिले विकासखंड और पंचायत स्तर पर होंगी गतिविधियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन ईश्वरीय देन हैं। इनकी महत्ता को स्वीकारने और उसके संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहने के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की परंपरा आरंभ हुई। पौधों में प्राण होते हैं इस तथ्य को सिद्ध करने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने कहा था कि भारतीय संस्कृति पौधों को जीवंत ही मानती है और उसी संवेदनशीलता के साथ उन्हें पूजनीय माना जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अभियान के अंतर्गत 3 हजार 90 करोड़ लागत के जल संरक्षण के 990 कार्य आज से प्रदेश में आरंभ हो रहे हैं। प्रत्येक जिले, विकासखंड और पंचायत स्तर पर जल संरचनाओं की मरम्मत, पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के लिए जनभागीदारी से गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
नदियों के उद्गम स्थल पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना जरूरी
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने जल गंगा संवर्धन अभियान आरंभ करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार मानते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि अभियान को रस्म अदायगी न माना जाए। हम सभी जल स्त्रोतों को सहेजने उनकी साफ-सफाई और उनके आस-पास वृक्षारोपण जैसी गतिविधियां जनभागीदारी से सुनिश्चित करें। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि वे 16 जून तक चलने वाले अभियान में प्रत्येक दिन एक नदी के उद्गम स्थल पर जाकर स्थल के संरक्षण साफ-सफाई और वृक्षारोपण गतिविधियों में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि नदियों के उद्गम स्थल के आसपास बहेड़ा, हर्र, आम, बांस, नीम, बेल आदि के पौधे जल स्त्रोतों को संरक्षित करने और उन्हें समर्थ बनाने में सक्षम हैं अतः इस प्रकार के पौधों के रोपण को प्राथमिकता दी जाए।
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में माना गया है कि पृथ्वी पर्वत नदी पेड़-पौधों में जीवंतता है और वे हमारे लिए पूज्यनीय हैं। जिस प्रकार मानव देह में धमनियों के माध्यम से रक्त का संचार होता है उसी प्रकार नदियां पृथ्वी पर जीवन का संचार करती हैं। अतः हम सबके लिए नदियों का अक्षुण्ण निरंतर प्रवाह आवश्यक है। नदियों के प्रवाह को दूषित करना या उनमें अवरोध उत्पन्न करना जीवन में अवरोध उत्पन्न करने के समान है। इस दृष्टि से जल स्रोतों का संरक्षण मानव जीवन के लिए आवश्यक है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव विश्व पर्यावरण दिवस पर रायसेन जिले में झिरी बहेडा स्थित बेतवा नदी के उद्गम स्थल पर जल गंगा संवर्धन अभियान के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बेतवा नदी के उद्गम स्थल की पूजा-अर्चना कर तथा बरगद का पौधा रोपकर जल गंगा संवर्धन अभियान का शुभारंभ किया। अभियान का समापन 16 जून को गंगा दशहरे के अवसर पर उज्जैन में होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेतवा नदी का उद्गम भोपाल के पास से ही होता है और यहां का जल गंगा बेसिन में मिलता है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल पहुंचने पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों के साथ कलश यात्रा निकालकर स्थानीय महिलाओं ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री के साथ जनजातीय भाई-बहनों ने 108 पौधों का रोपण किया।
प्रत्येक जिले विकासखंड और पंचायत स्तर पर होंगी गतिविधियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन ईश्वरीय देन हैं। इनकी महत्ता को स्वीकारने और उसके संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहने के उद्देश्य से ही प्रतिवर्ष पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की परंपरा आरंभ हुई। पौधों में प्राण होते हैं इस तथ्य को सिद्ध करने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने कहा था कि भारतीय संस्कृति पौधों को जीवंत ही मानती है और उसी संवेदनशीलता के साथ उन्हें पूजनीय माना जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अभियान के अंतर्गत 3 हजार 90 करोड़ लागत के जल संरक्षण के 990 कार्य आज से प्रदेश में आरंभ हो रहे हैं। प्रत्येक जिले, विकासखंड और पंचायत स्तर पर जल संरचनाओं की मरम्मत, पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के लिए जनभागीदारी से गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
नदियों के उद्गम स्थल पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना जरूरी
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने जल गंगा संवर्धन अभियान आरंभ करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार मानते हुए कहा कि यह आवश्यक है कि अभियान को रस्म अदायगी न माना जाए। हम सभी जल स्त्रोतों को सहेजने उनकी साफ-सफाई और उनके आस-पास वृक्षारोपण जैसी गतिविधियां जनभागीदारी से सुनिश्चित करें। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि वे 16 जून तक चलने वाले अभियान में प्रत्येक दिन एक नदी के उद्गम स्थल पर जाकर स्थल के संरक्षण साफ-सफाई और वृक्षारोपण गतिविधियों में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि नदियों के उद्गम स्थल के आसपास बहेड़ा, हर्र, आम, बांस, नीम, बेल आदि के पौधे जल स्त्रोतों को संरक्षित करने और उन्हें समर्थ बनाने में सक्षम हैं अतः इस प्रकार के पौधों के रोपण को प्राथमिकता दी जाए।