होली, रंगपंचमी ने रोकी प्रचार की रफतार
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सोशल मीडिया पर भी नहीं दिख रहा दम
भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए। वहीं कांग्रेस तीन सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर प्रत्याशी तय कर चुकी है। मगर अब तक चुनाव प्रचार ने गति नहीं पकड़ी है। इसके पीछे राजनीतिक दल होली और रंगपंचमी के त्यौहार को कारण बता रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी अब तक प्रत्याशियों की टीम सक्रिय नजर नहीं आ रही है।
प्रदेश में 29 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, इनमें पहले चरण के छह संसदीय क्षेत्रों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो शुरू हो गई है। जबकि दूसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। इस सबके बीच चुनावी माहौल में पार्टी कार्यालयों को छोड़ दिया जाए तो चुनावी माहौल नजर नहीं आ रहा है। ना तो ष्शहरों और गांवों में चुनाव प्रचार के लिए वाहन दिखाई दे रहे हैं और ना ही प्रत्याशियों का जनसंपर्क नजर आ रहा है। इतना ही नहीं चुनाव सामग्री का विक्रय करने वाले दुकानदार भी अब तक हाथ-पर-हाथ धरे बैठे नजर आ रहे हैं। दुकानदारों के अनुसार कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी उनसे सामग्री खरीदते हैं। भाजपा में तो अधिकांश सामग्री पार्टी द्वारा ही प्रत्याशी को दी जाती हैं। इस बार चुनाव की तारीखें घोशित होने के बाद विलंब से हुई प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के चलते कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशियों की सक्रियता अब तक नजर नहीं आई है। इसके चलते उनका धंधा भी फिलहाल ठप्प सा पड़ा है। चुनाव में अब तक सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के अलावा छोटे दलों में बसपा की ही सक्रियता नजर आ रही है। बाकि के अन्य छोटे और क्षेत्रीय दलों की स्थिति अभी साफ नहीं हुई है कि वे किस मजबूती के साथ मैदान में उतर रहे हैं। वहीं दलों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रत्याशी के नाम की घोशणा के साथ ही उनकी टीम भी सक्रिय हो जाती है।, मगर अभी तक सोशल मीडिया पर भी इसकी सक्रियता उनकी नजर नहीं आ रही है।
वहीं चुनाव आयोग की खर्च पर दिखाई सख्ती भी इसका एक कारण बन रहा है। चुनाव लंबे होने से प्रत्याशी भी इस बार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। वहीं होली और रंगपंचमी जैसे त्यौहारों के कारण भी राजनीतिक दलों का मानना है कि चुनाव प्रचार गति नहीं पकड़ पाया है। दलों से जुड़े नेताओं का कहना है कि रंगपंचमी के बाद चुनाव प्रचार में तेजी नजर आएगी।
भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए। वहीं कांग्रेस तीन सीटों को छोड़कर सभी सीटों पर प्रत्याशी तय कर चुकी है। मगर अब तक चुनाव प्रचार ने गति नहीं पकड़ी है। इसके पीछे राजनीतिक दल होली और रंगपंचमी के त्यौहार को कारण बता रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी अब तक प्रत्याशियों की टीम सक्रिय नजर नहीं आ रही है।
प्रदेश में 29 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, इनमें पहले चरण के छह संसदीय क्षेत्रों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो शुरू हो गई है। जबकि दूसरे चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। इस सबके बीच चुनावी माहौल में पार्टी कार्यालयों को छोड़ दिया जाए तो चुनावी माहौल नजर नहीं आ रहा है। ना तो ष्शहरों और गांवों में चुनाव प्रचार के लिए वाहन दिखाई दे रहे हैं और ना ही प्रत्याशियों का जनसंपर्क नजर आ रहा है। इतना ही नहीं चुनाव सामग्री का विक्रय करने वाले दुकानदार भी अब तक हाथ-पर-हाथ धरे बैठे नजर आ रहे हैं। दुकानदारों के अनुसार कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी उनसे सामग्री खरीदते हैं। भाजपा में तो अधिकांश सामग्री पार्टी द्वारा ही प्रत्याशी को दी जाती हैं। इस बार चुनाव की तारीखें घोशित होने के बाद विलंब से हुई प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के चलते कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशियों की सक्रियता अब तक नजर नहीं आई है। इसके चलते उनका धंधा भी फिलहाल ठप्प सा पड़ा है। चुनाव में अब तक सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के अलावा छोटे दलों में बसपा की ही सक्रियता नजर आ रही है। बाकि के अन्य छोटे और क्षेत्रीय दलों की स्थिति अभी साफ नहीं हुई है कि वे किस मजबूती के साथ मैदान में उतर रहे हैं। वहीं दलों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रत्याशी के नाम की घोशणा के साथ ही उनकी टीम भी सक्रिय हो जाती है।, मगर अभी तक सोशल मीडिया पर भी इसकी सक्रियता उनकी नजर नहीं आ रही है।
वहीं चुनाव आयोग की खर्च पर दिखाई सख्ती भी इसका एक कारण बन रहा है। चुनाव लंबे होने से प्रत्याशी भी इस बार फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है। वहीं होली और रंगपंचमी जैसे त्यौहारों के कारण भी राजनीतिक दलों का मानना है कि चुनाव प्रचार गति नहीं पकड़ पाया है। दलों से जुड़े नेताओं का कहना है कि रंगपंचमी के बाद चुनाव प्रचार में तेजी नजर आएगी।