जन जातीय क्षेत्रों में मानव तस्करी, दुर्व्यापार रोकने सक्रिय किया जाए अमले को
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भोपाल। महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि मजदूरी के बहाने महिलाओं और बच्चियों की ट्रैफिकिंग पर कड़ी कार्रवाई करना होगी। जनजातीय क्षेत्रों में मानव तस्करी एवं उनके दुर्व्यापार को रोकने के लिये ग्रामीण क्षेत्र में मैदानी अमलों और हाई-वे पर भी तैनात कर्मियों को सोर्स, ट्रांजिट और डेस्टिनेशन के ग्रामों की पहचान करने के लिये प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है।
मंत्री भूरिया ने मंत्रालय में मानव तस्करी व दुर्व्यापार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बैठक ली। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर स्वयंसेवी संस्थाओं की सहायता से मानव दुर्व्यापार और मानव तस्करी में बदलते रुझान और उनसे निपटने की रणनीति और जागरूकता लाने के लिये जल्द ही राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिये। मंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चियों को मानव तस्करी व दुर्व्यापार से बचाने के लिये डेडिकेटेड टीम की आवश्यकता होगी, तभी इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि खेती-किसानी के लिये मजदूरी के बहाने महिलाओं और बच्चियों की ट्रैफिकिंग पर कडी कार्यवाही करना होगी। मैदानी स्तर पर कार्यकर्ताओं व गांव के कोटवारों को मानव तस्करी रोकने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। मानव तस्करी के तरीके और नेटवर्क, तकनीकी प्रगति, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों और वैश्विक घटनाओं से प्रभावित होकर लगातार विकसित हो रहे हैं। इसलिए कार्यशाला के माध्यम से इसकी रोकथाम के लिये विभिन्न स्तरों पर चर्चा के बाद निष्कर्ष निकाला जा सकता है और प्रदेश में मानव तस्करी एवं दुर्व्यापार की घटनाओं में कमी लायी जा सकती है।
मंत्री भूरिया ने मंत्रालय में मानव तस्करी व दुर्व्यापार जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बैठक ली। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से चर्चा कर स्वयंसेवी संस्थाओं की सहायता से मानव दुर्व्यापार और मानव तस्करी में बदलते रुझान और उनसे निपटने की रणनीति और जागरूकता लाने के लिये जल्द ही राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिये। मंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चियों को मानव तस्करी व दुर्व्यापार से बचाने के लिये डेडिकेटेड टीम की आवश्यकता होगी, तभी इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि खेती-किसानी के लिये मजदूरी के बहाने महिलाओं और बच्चियों की ट्रैफिकिंग पर कडी कार्यवाही करना होगी। मैदानी स्तर पर कार्यकर्ताओं व गांव के कोटवारों को मानव तस्करी रोकने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। मानव तस्करी के तरीके और नेटवर्क, तकनीकी प्रगति, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों और वैश्विक घटनाओं से प्रभावित होकर लगातार विकसित हो रहे हैं। इसलिए कार्यशाला के माध्यम से इसकी रोकथाम के लिये विभिन्न स्तरों पर चर्चा के बाद निष्कर्ष निकाला जा सकता है और प्रदेश में मानव तस्करी एवं दुर्व्यापार की घटनाओं में कमी लायी जा सकती है।