RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक ने दी बड़ी राहत, लगातार सातवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 3 दिन से चल रही मीटिंग के नतीजों का ऐलान हो गया है. चुनाव से पहले रिजर्व बैंक ने लोगों को बड़ी राहत दी है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास बैठक में लिए गए फैसलों के बारे बताते हुए कहा कि इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यानी इन दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा गया है. इसका मतलब है कि आपकी ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होने वाला है. ये लगातार सातवीं बार है जब RBI ने रेपो रेट्स को स्थिर रखने का फैसला किया है. Repo Rate के साथ ही रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर रखा है. MSF रेट और बैंक रेट 6.75% पर बरकरार है. जबकि, SDF रेट 6.25% पर स्थिर है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कहा कि ग्रोथ ने सभी अनुमानों को पार करते हुए अपनी गति बरकरार रखी है. जनवरी और फरवरी दोनों महीनों की हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1% हो गई है, और यह पहले से इन दो महीनों में दिसंबर के महीने 5.7% के पीक से घटकर 5.1% हो गई है. आगे देखते हुए, मजबूत विकास संभावनाएं नीति को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने और 4% के लक्ष्य तक इसके बढ़ने को सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान करती हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को इजाफा किया था. तब आरबीआई ने इसे 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था. तब से लगातार छह MPC बैठक में इन दरों को यथावत रखा गया है और इस बार भी पहले से ही इसमें कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई जा रही थी.
रेपो रेट वह दर है, जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है. रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. वास्तव में रेपो रेट का असर आम लोगों द्वारा बैंकों से लिए गए लोन की ईएमआई पर देखने को मिलता है. अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो आम लोगों की होम और कार लोन की ईएमआई घट जाती है और अगर रेपो रेट में इजाफा होता है तो कार और होम लोन की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है.
रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में महंगाई खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल की वजह से बढ़ रही है. रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2025 में जमा राशि और क्रेडिट क्रमशः 14.5-15% और 16.0-16.5% तक बढ़ सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दरों में कटौती केवल वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ही कर सकता है.