गलवान घाटी समेत 4 चार जगहों से पीछे हटी सेना, भारत के दबाव के आगे झुका चीन
नई दिल्ली. आखिरकार 4 साल गलवान घाटी में डटे रहने के बाद चीन ने वहां से अपने सैनिकों को पीछे हटने को कहा है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी समेत चार स्थानों पर सैनिकों की वापसी हुई है. चीन के विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख में गलवान समेत चार बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और चीन ने रूस में अपनी बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के वास्ते माहौल बनाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है.
चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स सदस्य देशों में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्च-स्तरीय अधिकारियों की बैठक से इतर बातचीत की. इस दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर हाल के विचार-विमर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से प्रेस वार्ता के दौरान पूछा गया कि क्या दोनों देश पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय से द्विपक्षीय संबंधों पर जमी बर्फ को हटाने के करीब हैं? इसपर माओ ने कहा कि दोनों सेनाओं ने चार क्षेत्रों से वापसी की है और सीमा पर स्थिति स्थिर है.
प्रवक्ता ने कहा, हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओ से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है. चीन-भारत सीमा पर स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है. उनकी यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा जिनेवा में दिए गए बयान के एक दिन बाद आई है. जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है.
डोभाल और वांग भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं. डोभाल और वांग के बीच हुई बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा कि दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हित में है तथा क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है. इसमें कहा गया कि चीन और भारत ने दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के बीच बनी सहमति को क्रियान्वित करने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, निरंतर संवाद बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए माहौल बनाने पर सहमति जताई.
विज्ञप्ति में कहा गया कि बैठक में डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रति सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की वापसी के लिए आवश्यक है. डोभाल और वांग की बैठक भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता के दो सप्ताह बाद हुई है. कूटनीतिक वार्ता के दौरान दोनों पक्ष लंबित मुद्दों का समाधान तलाशने के लिए कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से संपर्क बढ़ाने पर सहमत हुए थे.