सुप्रीम कोर्ट का आदेश: नीट की परीक्षा दोबारा नहीं होगी, 24 लाख से अधिक छात्रों को भुगतना पड़ेगा परिणाम
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली और उसका फैसला भी सुना दिया. फैसले के मुताबिक नीट की परीक्षा दोबारा नहीं कराई जाएगी. इस दौरान CJI ने यह भी बताया कि आखिर क्यों नीट की परीक्षा दोबारा नहीं कराई जाएगी. उन्होंने अपने ऑर्डर में इसकी पूरी वजह बताई है. CJI ने कहा कि जिन लोगों ने नीट परीक्षा में गड़बड़ी का फायदा उठाया है, उनकी बेदाग कैंडिडेट से अलग कर पहचान कर पाना संभव है. आगे चलकर गड़बड़ी पाई जाती है, तो भी उसका एडमिशन रद्द किया जा सकता है.
क्यों किया परीक्षा से इंकार?
सीजेआई ने कहा कि कोर्ट को लगता है कि इस साल के लिए नए सिरे से नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देना गंभीर परिणामों से भरा होगा, जिसका खामियाजा इस परीक्षा में शामिल होने वाले 24 लाख से अधिक छात्रों को भुगतना पड़ेगा और प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान पैदा होगा, चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, भविष्य में योग्य चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता पर असर पड़ेगा और वंचित समूह के लिए गंभीर रूप से नुकसानदेह होगा, जिसके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया था.
क्या है पूरा मामला
नीट का 4 जून को रिजल्ट आने के बाद से पेपर लीक को लेकर छात्रों का आक्रोश सामने आया था. सबसे पहले इस परीक्षा में बिहार में पेपर लीक की खबर ने तूल पकड़ा था. उसके बाद रिजल्ट आने पर परीक्षा में 67 टॉपर और एक ही परीक्षा केंद्र से कई टॉपर आना, एक सवाल के दो उत्तर, ग्रेस मार्क्स जैसे प्वाइंट्स किसी को हजम नहीं हो रहे थे. उसी दौरान नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर भड़के छात्रों ने पूरे देश में रिजल्ट में हेरफेर और पेपर लीक को लेकर प्रदर्शन किया.
परीक्षा में पेपर लीक के संदेह पर देशभर के हाईकोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिकाओं का सिलसिला शुरू हुआ. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुनने की कार्यवाही शुरू हुई. इस सुनवाई में बिहार पेपर लीक से लेकर हजारीबाग, सीकर और गोधरा तक के मामलों की जांच, एक सवाल के दो उत्तर, सीबीआई जांच जैसे सभी मुद्दों पर बहस हुई. सर्वोच्च अदालत की बेंच ने सभी पहलुओं पर बहस सुनने के बाद यह तय किया कि इस पर जल्द से जल्द फैसला देना होगा, क्योंकि छात्रों को किसी भी हाल में लटकाकर नहीं रख सकते.