पर्यावरण संरक्षण के लिए चेतना होगा वर्तमान पीढ़ी को
मुख्यमंत्री ने कहा पौध-रोपण, बिजली- पानी की बचत का लें संकल्प
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भौतिक प्रगति की अंधी चाह से बढ़े संसाधनों के शोषण ने प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। इससे जलवायु परिवर्तन और क्लाइमेट चेंज के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। वर्तमान पीढ़ी को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए चेतना होगा, यदि हमने इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं किए तो आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को हम रहने लायक नहीं छोड़ पाएंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जन-जागृति के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर मिशन लाइफ (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का रविंद्र भवन में शुभारंभ कर रहे थे। कार्यक्रम से प्रदेश के सभी 52 जिले वर्चुअली जुड़े। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पेड़-पर्वतों की पूजा में उनका प्रकृति के प्रति आदर भाव अभिव्यक्त होता था। वर्तमान पीढ़ी को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए चेतना होगा, यदि हमने इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं किए तो आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को हम रहने लायक नहीं छोड़ पाएंगे। पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पौध-रोपण, बिजली की बचत, पानी बरबाद न करने और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प लेना होगा। इन आदतों में परिवर्तन कर हम धरती की सेवा कर सकते हैं।
भारतीय संस्कृति में नीहित हैं प्रकृति संरक्षण के संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है। हमारे ऋषि- मुनियों ने प्रकृति से छेड़छाड़ के दुष्परिणामों को पहले से ही भाँप लिया था। भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि एक ही चेतना हम सब में है। प्राणियों में भी वही चेतना है जो पशुओं में है। इसलिए गो-माता के साथ विभिन्न देवताओं के वाहनों के रूप में पशुओं की उपासना भारतीय जीवनशैली में आरंभ से ही शामिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक पेड़ कई जीवों को जीवन देता है। हमारी संस्कृति में वृक्षों की पूजा की जाती है। नदियों को माँ माना गया तथा गोवर्धन पूजा से पेड़-पर्वत और समग्र प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया गया।