फर्जी दस्तावेज लगाकर लाखों रुपए निकाले, तीन निलंबित
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भोपाल। पुलिस मुख्यालय ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर लाखों रुपए के मेडिकल बिल निकालने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। पिछले चार साल से चल रही वित्तीय अनियमितताएं हाल ही में प्रकाश में आई हैं।
प्ुलिस मुख्यालय के वरिश्ठ अधिकारियों को कोषागार से इस घोटाले की जानकारी मिली थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों ने लाखों रुपये की धोखाधड़ी की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार लेखा अधिकारी और दो लिपिकों ने मेडिकल बिल तैयार किए। पहले संबंधित व्यक्ति के नाम से भुगतान किया गया और फिर उसी बिल से दूसरे व्यक्ति के नाम से भुगतान किया गया। दूसरी बार आरोपियों ने अपने ही बैंक खाते का इस्तेमाल किया। यानी रकम को अपने या अपने परिचित के खाते में ट्रांसफर किया। शुरुआत में डुप्लीकेट बिल बनाकर 5 हजार से 20 हजार रुपए की रकम निकाली। बाद में लाखों रुपये का सामान खरीद लिया। खरीद के नाम पर दूसरे बिल का इस्तेमाल कर रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली। बिलों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। कमेटी का अध्यक्ष एआईजी कल्याण अंशुमान अग्रवाल को बनाया गया है। कमेटी में वित्त अधिकारी रीना यादव और तीन ऑडिटर शामिल किए गए हैं। कमेटी को 10 दिन में अपनी रिपोर्ट देनी है। प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर लेखा अधिकारी नीरज अहिरवार, लिपिक हर्ष भानखेड़े और हरिहर सोनी को निलंबित कर दिया गया है।
प्ुलिस मुख्यालय के वरिश्ठ अधिकारियों को कोषागार से इस घोटाले की जानकारी मिली थी। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों ने लाखों रुपये की धोखाधड़ी की है। पुलिस सूत्रों के अनुसार लेखा अधिकारी और दो लिपिकों ने मेडिकल बिल तैयार किए। पहले संबंधित व्यक्ति के नाम से भुगतान किया गया और फिर उसी बिल से दूसरे व्यक्ति के नाम से भुगतान किया गया। दूसरी बार आरोपियों ने अपने ही बैंक खाते का इस्तेमाल किया। यानी रकम को अपने या अपने परिचित के खाते में ट्रांसफर किया। शुरुआत में डुप्लीकेट बिल बनाकर 5 हजार से 20 हजार रुपए की रकम निकाली। बाद में लाखों रुपये का सामान खरीद लिया। खरीद के नाम पर दूसरे बिल का इस्तेमाल कर रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली। बिलों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। कमेटी का अध्यक्ष एआईजी कल्याण अंशुमान अग्रवाल को बनाया गया है। कमेटी में वित्त अधिकारी रीना यादव और तीन ऑडिटर शामिल किए गए हैं। कमेटी को 10 दिन में अपनी रिपोर्ट देनी है। प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर लेखा अधिकारी नीरज अहिरवार, लिपिक हर्ष भानखेड़े और हरिहर सोनी को निलंबित कर दिया गया है।