शिवराज सरकार में गठित बोर्ड, प्राधिकरण हो सकते हैं बंद
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भोपाल। प्रदेश सरकार जल्द ही पिछली शिवराज सरकार द्वारा गठित किए गए प्राधिकरण और बोर्डों को बंद कर सकती है। इसका फैसला मुख्यमंत्री डा मोहन यादव जल्द ले सकते हैं। इन बोर्डों और प्राधिकरणों की सूची मुख्यमंत्री ने बुलाई है।
दरअसल विधानसभा के 2023 के चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणा की थी। इन घोषणाओं में नए प्राधिकरण और बोर्ड का गठन भी था। कुछ बोर्ड और प्राधिकरणों में तो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए नियुक्तियां भी कर दी थी। विधानसभा चुनाव के पहले रजक, वीर तेजाजी, तेलघानी, विश्वकर्मा, स्वर्ण कला, कुश, महाराणा प्रताप, जय मीनेश, मां पूरी बाई कीर, देवनारायण सहित अन्य बोर्ड और प्राधिकरणों का गठन किया गया था। अब बताया जा रहा है कि सरकार इन बोर्ड और प्राधिकरणों को बंद करने का फैसला ले सकती है।
वहीं वित्त विभाग ने अब इन बोर्ड और प्राधिकरणों को लेकर जानकारी मांगी है। साथ ही घाटे में चल रहे निगम-मंडलों की जानकारी भी विभाग ने मांगी है। वित्त विभाग ने एक प्रोफार्मा में 12 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इनमें समस्त सांविधिक निगम, सरकारी कंपनियों की सूची मांगी है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एवं वर्ष के अंत तक निवेशित राशि बतानी होगी। शेयरों की संख्या और भुगतान के योग बताने होंगे। शेयर की श्रेणी का भी उल्लेखित करना होगा। यदि निगम हानि में चल रहा हो तो मार्च 2024 के अंत तक पूर्ण हानि का विवरण उसके कारणों सहित बताना होगा। 31 मार्च, 2023 की स्थिति में परीक्षित लेखा की प्रति उपलब्ध करानी होगी और संस्था के अतिरिक्त लाभ में आने की तिथि से वर्षवार निवेशित राशि बतानी होगी।
दरअसल विधानसभा के 2023 के चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणा की थी। इन घोषणाओं में नए प्राधिकरण और बोर्ड का गठन भी था। कुछ बोर्ड और प्राधिकरणों में तो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए नियुक्तियां भी कर दी थी। विधानसभा चुनाव के पहले रजक, वीर तेजाजी, तेलघानी, विश्वकर्मा, स्वर्ण कला, कुश, महाराणा प्रताप, जय मीनेश, मां पूरी बाई कीर, देवनारायण सहित अन्य बोर्ड और प्राधिकरणों का गठन किया गया था। अब बताया जा रहा है कि सरकार इन बोर्ड और प्राधिकरणों को बंद करने का फैसला ले सकती है।
वहीं वित्त विभाग ने अब इन बोर्ड और प्राधिकरणों को लेकर जानकारी मांगी है। साथ ही घाटे में चल रहे निगम-मंडलों की जानकारी भी विभाग ने मांगी है। वित्त विभाग ने एक प्रोफार्मा में 12 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इनमें समस्त सांविधिक निगम, सरकारी कंपनियों की सूची मांगी है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एवं वर्ष के अंत तक निवेशित राशि बतानी होगी। शेयरों की संख्या और भुगतान के योग बताने होंगे। शेयर की श्रेणी का भी उल्लेखित करना होगा। यदि निगम हानि में चल रहा हो तो मार्च 2024 के अंत तक पूर्ण हानि का विवरण उसके कारणों सहित बताना होगा। 31 मार्च, 2023 की स्थिति में परीक्षित लेखा की प्रति उपलब्ध करानी होगी और संस्था के अतिरिक्त लाभ में आने की तिथि से वर्षवार निवेशित राशि बतानी होगी।