जोड़-तोड़ के चलते निकायों में मजबूत हो गई भाजपा
महापौर हो गए 12, कांग्रेस के महापौरों की घटी संख्या
भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के परिणाम तो चार जून को आएंगे, मगर इसके पहले भाजपा ने नगरीय निकाय में अपनी ताकत बढ़ा ली है। भाजपा के पक्ष में कांग्रेस के तीन महापौर आने से महापौरों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है, जबकि कांग्रेस के तीन महापौर घट गए हैं। छिंदवाड़ा के महापौर भी भाजपा में ष्शामिल हो गए थे, मगर मतदान वाले दिन उन्होंने घर वापसी के संकेत दे दिए।
भाजपा ने न्यू ज्वाइनिंग टोली के सहारे प्रदेश में इस बार लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं को भाजपा की सदस्यता ली। इनमें कांग्रेस के तीन विधायक भी टूटे और तीन महापौर भी। इसके चलते नगरीय निकाय में अब कांग्रेस की कमजोर स्थिति हो गई है। नगरीय निकाय चुनाव में देखा जाए तो भाजपा के पास नौ महापौर थे। जबकि कांग्रेस के पांच, आम आदमी पार्टी का एक और एक निर्दलीय महापौर थे। चुनाव के दौरान तीन महापौर जबलपुर के जगत बहादुर सिंह, मुरैना की शारदा सोलंकी ने भाजपा की सदस्यता ले ली। वहीं छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहाके भी भाजपा में ष्शामिल हो गए थे, लेकिन उन्होंने मतदान वाले दिन कांग्रेस में वापसी की राह ढूंढ ली। इसके अलावा कटनी की महापौर प्रीति सूरी ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। प्रीति सूरी निर्दलीय रूप में महापौर का चुनाव जीती थीं।
ठसके अलावा दमोह जिला पंचायत की अध्यक्ष रंजीता पटेल, उपाध्यक्ष मंजू कटारे, सतना जिला पंचायत के सदस्य संजय सिंह कच्छवाह और कई अन्य जनपद और पंचायत सदस्य भाजपा में शामिल हुए। नतीजतन, भाजपा की उम्मीदें उन जगहों पर काफी बढ़ गई हैं, जहां उसके जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं हैं। छिंदवाड़ा नगर निगम में 48 पार्षद हैं 26 कांग्रेस के और 19 भाजपा के और तीन निर्दलीय हैं। सात पार्षदों के भाजपा में शामिल होने और पार्टी के 26 पार्षद होने से कांग्रेस अल्पमत में है।