प्रतिष्ठा बचाने तीन सीटों पर सिमटे रहे कांग्रेस नेता
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तीन सीटों पर फोकस किया चुनाव प्रचार
भोपाल। चौथे चरण के लिए आठ सीटों में होने वाले मतदान के पहले कांग्रेस के नेता इस अंचल में अपनी-अपनी प्रतिष्ठा बचाने के चलते तीन सीटों पर सिमट कर रह गए। बाकि पांच सीटों पर कांग्रेस नेताओं को फोकस नजर नहीं आ रहा। उन सीटों पर अभी से प्रत्याशी और उनके समर्थक ही प्रचार में जुटे हैं।
लोकसभा के लिए चौथे और अंतिम चरण के लिए आठ लोकसभा क्षेत्रों रतलाम-झाबुआ, धार, मंदसौर, इंदौर, देवास, उज्जैन, खरगोन और खंडवा में मतदान होना है। इनमें से कांग्रेस नेताओं का पूरा जोर रतलाम-झाबुआ, धार और इंदौर सीट पर रहा है। रतलाम-झाबुआ में शुरू से ही कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया अपने विधायक बेटे विक्रांत भूरिया के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वे किसी अन्य सीट पर प्रचार के लिए नहीं गए। राजगढ़ में जब दिग्विजय सिंह के क्षेत्र में मतदान हुआ तो उन्होंने भी इस सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ाई। भूरिया को दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता है, इसके चलते वे वहां पहुंचे और चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सक्रियता दिखाई। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ज्यादा समय धार संसदीय सीट पर ही दिया। वे दूसरे क्षेत्रों में गए, मगर ज्यादा समय वे धार में रहे। धार में कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश मुवेल को उनका समर्थक माना जाता है। इसके चलते उनका पूरा ध्यान इस सीट पर ही रहा। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भी वे इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए जुटे हैं।
इंदौर से जुड़ी है पटवारी की प्रतिष्ठा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी वैसे तो सभी लोकसभा सीटों पर गए हैं। मगर चौथे चरण में उनका भी ज्यादा ध्यान इंदौर लोकसभा सीट रहा है, जबकि यहां पर अब कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इसके चलते उन्होंने यहां पर नोटा अभियान चलाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम किया। इस अभियान के बाद जब भाजपा में बेचैनी बढ़ी तो पटवारी ने ज्यादा सक्रियता बढ़ा दी है। अब वे इस सीट पर अपनी खोई प्रतिश्ठा को नोटा के सहारे बचाना चाह रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि भाजपा को बड़ी जीत हासिल करने से रोका जाए ताकि इंदौर के होने के चलते वे अपनी प्रतिश्ठा को बचा सकें और संगठन में अपनी कमजोर होती स्थिति को मजबूती दे सके।
भोपाल। चौथे चरण के लिए आठ सीटों में होने वाले मतदान के पहले कांग्रेस के नेता इस अंचल में अपनी-अपनी प्रतिष्ठा बचाने के चलते तीन सीटों पर सिमट कर रह गए। बाकि पांच सीटों पर कांग्रेस नेताओं को फोकस नजर नहीं आ रहा। उन सीटों पर अभी से प्रत्याशी और उनके समर्थक ही प्रचार में जुटे हैं।
लोकसभा के लिए चौथे और अंतिम चरण के लिए आठ लोकसभा क्षेत्रों रतलाम-झाबुआ, धार, मंदसौर, इंदौर, देवास, उज्जैन, खरगोन और खंडवा में मतदान होना है। इनमें से कांग्रेस नेताओं का पूरा जोर रतलाम-झाबुआ, धार और इंदौर सीट पर रहा है। रतलाम-झाबुआ में शुरू से ही कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया अपने विधायक बेटे विक्रांत भूरिया के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वे किसी अन्य सीट पर प्रचार के लिए नहीं गए। राजगढ़ में जब दिग्विजय सिंह के क्षेत्र में मतदान हुआ तो उन्होंने भी इस सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ाई। भूरिया को दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता है, इसके चलते वे वहां पहुंचे और चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सक्रियता दिखाई। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ज्यादा समय धार संसदीय सीट पर ही दिया। वे दूसरे क्षेत्रों में गए, मगर ज्यादा समय वे धार में रहे। धार में कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश मुवेल को उनका समर्थक माना जाता है। इसके चलते उनका पूरा ध्यान इस सीट पर ही रहा। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भी वे इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए जुटे हैं।
इंदौर से जुड़ी है पटवारी की प्रतिष्ठा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी वैसे तो सभी लोकसभा सीटों पर गए हैं। मगर चौथे चरण में उनका भी ज्यादा ध्यान इंदौर लोकसभा सीट रहा है, जबकि यहां पर अब कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इसके चलते उन्होंने यहां पर नोटा अभियान चलाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम किया। इस अभियान के बाद जब भाजपा में बेचैनी बढ़ी तो पटवारी ने ज्यादा सक्रियता बढ़ा दी है। अब वे इस सीट पर अपनी खोई प्रतिश्ठा को नोटा के सहारे बचाना चाह रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि भाजपा को बड़ी जीत हासिल करने से रोका जाए ताकि इंदौर के होने के चलते वे अपनी प्रतिश्ठा को बचा सकें और संगठन में अपनी कमजोर होती स्थिति को मजबूती दे सके।