कांग्रेस ने नहीं की शिकायत, कार्रवाई में आड़े आएगा शपथ पत्र
रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे की विधायकी का मामला
भोपाल। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के दो विधायक हाल ही में भाजपा का दामन थाम चुके हैं, मगर उन्होंने विधायकी नहीं छोड़ी है। इसे लेकर अब तक कांग्रेस ने भी विधानसभा अध्यक्ष को कोई शिकायत नहीं की है। अगर कांग्रेस शिकायत करती है तो इनके दल बदलने के साक्ष्य देने होंगे साथ ही उन साक्ष्यों के साथ वहां उपस्थित लोगों से शपथ पत्र भी दिलाने होंगे।
लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे वैसे तो कांग्रेस के तीन विधायकों ने पाला बदला है। इनमें एक विधायक अमरवाड़ा से कमलेश ष्शाह ने पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था। अब यहां पर उपचुनाव होना तय है। मगर इसके बाद तीसरे चरण के मतदान के पहले विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत और बीना से विधायक निर्मला सप्रे ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। लेकिन दोनों ही विधायकों ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। जब तक ये विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देते तब तक ये कांग्रेस के विधायक कहलाएंगे। दोनों विधायकों का तर्क यह रहा है ि कवे पार्टी के यानि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करने के बाद इस मामले में कोई कदम उठाएंगे। वहीं कांग्रेस की ओर से भी अब तक इनकी सदस्यता खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को इसकी शिकायत भी नहीं की है। अगर विधानसभा को कांग्रेस इस मामले की शिकायत करती है तो कांग्रेस को इनके सदस्यता लेने के साक्ष्य देने होंगे। इसके अलावा दोनों विधायकों ने किनके सामने सदस्यता ली उन लोगों के ष्शपथ पत्र भी देने होंगे। इसके बाद ही इनकी सदस्यता समाप्त हो सकेगी।
सचिन बिरला की शिकायत की थी, मगर साक्ष्य नहीं थे
पिछले विधानसभा के कार्यकाल में कांग्रेस विधायक सचिन बिरला भी भाजपा में चले गए थे, मगर वे पूरे कार्यकाल तक कांग्रेस विधायक ही बने रहे। इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष डा गोविंद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत की थी। साथ ही वीडियो और फोटोग्राफ उपलब्ध कराए थे, मगर इन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने पुख्ता सबूत नहीं माने थे। उन्होंने कांग्रेस से कहा था कि वहां उपस्थित लोगों के ष्शपथ पत्र अपनी शिकायत के साथ लगाएं। मगर कांग्रेस यह कार्य नहीं कर पाई थी। इसके चलते सचिन बिरला ने अपनी विधायकी का पूरा कार्यकाल किया था।