300 केबिन क्रू ने ली सिक लीव, एयरइंडिया को 70 से ज्यादा फ्लाइट्स हुईं कैंसिल
नई दिल्ली. एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस से उड़ान भरने वाले लोगों के लिए बुधवार की सुबह बेहद परेशानियों वाली रही. इन दोनों एयरलाइंस ने अपनी 70 से अधिक फ्लाइट्स कैंसल कर दी. कंपनी ने अपने इस कदम के पीछे अब कई पायलट्स और क्रू मेंबर्स के ‘मास सिक लीव’ (सामूहिक रूप से बीमारी की छुट्टी) लेने को वजह बताया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, एयरलाइंस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सिक लीव ली है, जिनकी संख्या तकरीबन 300 बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि नए अपॉइंटमेंट नियमों के बाद प्रोटेस्ट देखने को मिल रहा है, जिसके नतीजतन कल तकरीबन 300 केबिन क्रू ने सिक लीव ली है.
सूत्रों के मुताबिक, एअर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में विलय होने वाला है, इसलिए दोनों एयरलाइंस के पायलट और केबिन क्रू को लग रहा है कि उनकी जॉब खतरे में है. इसलिए सभी लोग प्रोटेस्ट कर रहे हैं. बीती रात से यह प्रोटेस्ट बड़ा हो गया है, जिसके कारण 70 से ज्यादा फ्लाइट कैंसल हुई हैं. इनमें मिडल ईस्ट और गल्फ देशों की सबसे ज्यादा फ्लाइट शामिल हैं. प्रवक्ता ने कहा कि हम केबिन क्रू मेंबर्स की बीमारी के पीछे के कारणों को समझने के लिए क्रू के साथ बातचीत कर रहे हैं. हमारी टीमें एक्टिव होकर इस संबंध में जानकारी जुटा रही है, ताकि हम अपने कस्टमर्स और सर्विस को निर्बाध रूप से जारी रख सकें.
एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि हम अचानक आई इस संकट के लिए अपने कस्टमर्स से ईमानदारी से माफी मांगते हैं. इस बात पर भी जोर देते हैं कि जो स्थिति सामने आई है, इससे कही बेहतर हमारी सर्विसेज हैं, जिसे हम डिलीवर करने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा कि फ्लाइट्स के कैंसिल होने के बाद कस्टमर्स को रिफंड दिया जाएगा या फिर अगर वे अपनी यात्रा को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो भी ऐसी स्थिति में उनके रिक्वेस्ट को स्वीकार किया जाएगा. आज हमारे साथ टेकऑफ करने वाले कस्टमर्स से अपील है कि वे एयरपोर्ट के लिए निकलने से पहले ये देख लें कि कहीं उनकी फ्लाइट रद्द तो नहीं है.
एयर इंडिया एक्सप्रेस केबिन क्रू का प्रतिनिधित्व करने वाले एक यूनियन ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि एयरलाइन का मैनेजमेंट मिसमैनेज्ड है. आरोप में ये भी कहा गया था कि एयर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है. एयर इंडिया एक्सप्रेस कर्मचारी यूनियन (AIXEU) ने आरोप लगाया था कि मामलों के मिसमैनेज्ड होने से कर्मचारियों के मनोबल पर भी असर पड़ा है.