राम चरित मानस विश्व साहित्य का सिरमौर ग्रंथ: पं निर्मल कुमार शुक्ल
बैतूल। राम चरित मानस विश्व साहित्य का सिरमौर ग्रंथ है मानव जीवन की हर समस्याओं का समाधान इस ग्रंथ में निहित है। तुलसी दास जी ने श्री राम के आदर्श का जैसा चित्रण किया वह सर्वथा दुर्लभ है। आज का मानव यदि इस चरित्र का कुछ अंश भी आत्मसात करले तो समाज में पुनः राम राज्य का स्वप साकार हो सकता है। प्रयाग राज से पधारे हुए विद्वान मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने नगर के टैगोर वार्ड में जिला पंचायत सदस्य राजा ठाकुर के आवास पर रामायण की नौ दिवसीय कथा के पंचम दिवस श्री राम वनवास की भावपूर्ण कथा सुनाते हुए विशा्ल श्रोता समाज को मंत्रमुग्ध करते हुए राम वनवास की मार्मिक कथा श्रवण कराया। कथा में पं निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा कि राम वनवास विश्व राजनीति की एकमेव घटना है जहां शायंकाल एक पिता ने पुत्र को यह सूचना दिया कि कल तुम समस्त भूमंडल के सम्राट बना दिए जाएंगे। यह आह्लादकारी समाचार सुनकर श्रीराम के मुख पर प्रसन्नता की एक रेखा भी परिलक्षित नहीं हुई। सबेरे उन्ही राम को 14 वर्ष वनवास का हृदयविदारक समाचार सुनाया गया किन्तु यह समाचार सुनकर उनके मुखमंडल पर विषाद की एक रेखा नहीं उभर सकी।राज्य सुनने और वनवास सुनने पर एक जैसी मुद्रा रही। आज जब थोड़े से लाभ के लिए भाई भाई और पुत्र पिता की हत्या तक करने का जघन्य अपराध कर देता है ऐसे काल में यह घटना स्वप्न लोक सी लगती है। आज अपने कुटुंब के लिए अल्प लाभ लोभ के लिए जब लोग राष्ट्र और समाज को भी दांव पर लगा देते हैं। तब अयोध्या के देव दुर्लभ साम्राज्य का तृण के समान त्याग कर देना एक असंभव सी घटना हैं। विद्वान वक्ता ने आगे कहा कि अयोध्या के विशाल साम्राज्य को छोड़कर भगवान राम ऐसे चले जैसे कोई पथिक रात में किसी धर्मवाले में रुकता है और सबेरे किराया चुका कर निर्लेप भाव से चल देता है और एक बार भी मुड़कर धर्मशाला की ओर नहीं देखता। महराज श्री ने कहा राम का चौदह वर्ष का वनवास एक प्रकार से साम राज की पूर्व तैयारी है।राम ने वन में इतने वर्षों तक रहकर वहां कोल किरात भील निषाद शवरी वानर भालू सबकी समस्याएं देखा और सुना श्रीराम ने। समाज में राम राज्य तभी आ सकता है जब शाशक स्वयं हमाज के सबसे पिछड़े वर्ग की समस्याओं से अवगत हैं। अयोध्या से निकल कर भगवान राम केवट के घाट पर पहुंचे वहां केवट से नाव की याचना किया। केवट रामराज्य का प्रथम नागरिक है जब चक्रवर्ती सम्राट का उत्तराधिकारी समाज के सबसे उपेक्षित व्यक्ति को हृदय से लगाने लगे उसे समुचित सम्मान मिलने लगे यही तो राम राज्य का प्रथम चरण है। कथा महोत्सव में नगर के प्रतिष्ठित लोगों की उपस्थिति हो रही है। महराज श्री की धारा प्रवाह शैली के वशीभूत होकर 4 घंटे तक समाधिस्थ जैसे श्रोता बैठे रहते हैं समय चक्र मानों ठहर जाता है। कथा के आयोजक जिला पंचायत सदस्य राजा ठाकुर अरुण सिंह राजेंद्र सिंह प्रदीप सिंह किलेदार तथा पिंटू परिहार व ऋषीराज परिहार ने समस्त श्रोताओं का स्वागत किया तथा सभी धर्मप्रेमी सज्जनों से अधिकाधिक संख्या में कम पधार कर कथामृत पान करने का आग्रह किया है।यह कथा गंगा 7 मई तक प्रतिदिन मध्यान्ह 3/30 से 7/30 प्रवाहित होगी।