रीवा लोकसभा : सात बार जीते निर्दलीय और अन्य दल
सपा नहीं खोल पाई खाता, बसपा ने तीन बार हासिल की जीत
भोपाल। प्रदेश की रीवा लोकसभा सीट इकलौती ऐसी सीट है, जिस पर भाजपा और कांग्रेस के अलावा निर्दलीय और दूसरे दलों के प्रत्याशियों को भी जीत हासिल होती रही है। एक-दो बार नहीं बल्कि सात मर्तबा ऐसा हुआ है जब भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को यहां पर हार का सामना निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशियों से करना पड़ा है।
विंध्य अंचल की सीटों में रीवा सीट पर इस बार भी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल पूरी ताकत से जीत के लिए जुटे हैं। जातिगत आधार पर परिणाम देने वाली इस सीट पर इस बार दोनों ही दलों ने ब्राहम्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया है। भाजपा ने सांसद जनार्दन मिश्रा को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने यहां पर पूर्व विधायक नीलम मिश्रा पर दाव खेला है। विंध्य की इस सीट पर मुकाबला कड़ा हो गया है। शुरुआती दौर में यहां पर मुकाबला एकतरफा लग रहा था, मगर अब यहां पर कांटे की टक्कर नजर आ रही है।
1999 के बाद से अब तक कांग्रेस को जीत का इंतजार
रीवा लोकसभा के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां 1967 के बाद से कांग्रेस काफी कमजोर हैं। 1962 के चुनाव के बाद यहां से कांग्रेस को कभी भी लगातार दो मर्तबा जीत हासिल नहीं हुई है। कांग्रेस को 1999 में अंतिम बार इस सीट पर जीत हासिल हुई है। इस चुनाव में कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद से कांग्रेस यहां पर जीत के लिए इंतजार कर रही है।
बसपा ने जीते तीन चुनाव, सपा नहीं खोल पाई खाता
बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर तीन मर्तबा जीत हासिल की है। रीवा के अलावा इसी अंचल की सतना सीट पर भी बसपा ने एक बार जीत हासिल की है। प्रदेश की केवल यही सीट ऐसी हैं, जहां बसपा और अन्य दलों को जीत हासिल हुई है। रीवा में बसपा के अलावा निर्दलीय, जनता पार्टी और जनता दल के प्रत्याशी भी जीत हासिल कर चुके हैं। इस सीट पर 1952 के बाद से अब तक सत्रह बार के चुनावों में कांग्रेस को 6 बार और भाजपा को 4 बार जीत हासिल हुई है। इसके अलावा सात बार निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशी जीते हैं।
कब किसे मिली जीत
1971 मार्तण्ड सिंह निर्दलीय
1977 यमुना प्रसाद शास्त्री जनता पार्टी
1980 मार्तण्ड सिंह निर्दलीय
1989 यमुना प्रसाद शास्त्री जनता दल
1991 में भीमसेन पटेल बसपा
1996 बुद्धसेन पटेल बसपा
2009 देवराज सिंह पटेल बसपा