जबलपुर: शिवराजसिंह, भूपेन्द्र सिंह, वीडी शर्मा को जमानती वारंट, 7 मई को कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश
जबलपुर. राज्यसभा सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा द्वारा दायर किए गए दस करोड़ रुपए के मानहानि के मामले में आज एमपी/एमएलए कोर्ट ने पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेन्द्रसिंह के खिलाफ 500-500 रुपए का जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट की अवमानना करने पर पिछली डेट को रिवाइज कर तीनों ही नेताओं को एक माह पहले हाजिर होने के लिए आदेश भी दिए है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी. जिसमें तीनों को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा.
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया था कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ओबीसी आरक्षण रुकवाया था. अपने ऊपर लगे इन आरोप को लेकर विवेक तन्खा ने तीनों ही नेताओं पर 10 करोड़ रुपए का परिवाद दायर किया था. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी/एमएलए कोर्ट श्रीमती विश्वेश्वरी मिश्रा ने विवेक तन्खा मानहानि मामले में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. 2 अप्रैल को सुनवाई के दिन तीनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना था लेकिन वे कोर्ट नहीं हुए. इससे पहले तीनों ही नेताओं को कोर्ट ने इस मामले में 22 मार्च को उपस्थित होने का निर्देश दिया था. लेकिन उस दिन भी तीनों ही नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित ना होकर गैरहाजिरी माफ़ी आवेदन प्रस्तुत किया. स्वयं को लोकसभा चुनाव में व्यस्त बताते हुए एक आवेदन और प्रस्तुत किया. जिसमें उन्हें 7 जून तक का समय दिए जाने की मांग की. कोर्ट ने आवेदन स्वीकार करते ही एक शर्त रखी कि वे 2 अप्रैल को स्वयं उपस्थित होकर ये बात कोर्ट के सामने कहें. 2 अप्रैल को भी जब तीनों ही नेता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री के अधिवक्ता ने न्यायालय में 7 जून को उपस्थित होने का आवेदन दायर किया था जिसे कि खारिज कर दिया गया है. लोकसभा चुनाव का हवाला देकर व्यक्तिगत उपस्थिति से बचने के लिए तीनों ही नेताओं ने कोर्ट में आवेदन किया था. एमपी/एमएलए कोर्ट की विशेष न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा ने जारी आदेश में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि सभी भाजपा के वरिष्ठ नेता है. वरिष्ठ नेताओं से कोर्ट के प्रति सम्मान दिखाने की अपेक्षा ज्यादा रहती है. व्यक्तिगत व्यस्तता बताकर न्यायालय के आदेशों का पालन न करने से आमजन में गलत संदेश जाएगा.