गठबंधन में कांग्रेस से खजुराहो सीट लेकर उलझी सपा
0
मजबूत प्रत्याशी की तलाश नहीं कर पा रहे नेता
भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस से खजुराहो सीट गठबंधन के तहत लेकर समाजवादी पार्टी उलझ गई है। अब तक उसे इस सीट पर मजबूत उम्मीदवार नहीं मिला है। पार्टी नेता अब भी किसी एक नाम पर सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। इस बीच इस अंचल के कुछ पूर्व कांग्रेस विधायकों के नाम चर्चा में आए, मगर अब तक बात नहीं बनी है।
समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के तहत खजुराहो सीट अपने खाते में कांग्रेस से ली है। इसके चलते कांग्रेस को प्रदेश में अब 29 के बजाय 28 स्थानों पर ही प्रत्याशी मैदान में उतारने है। इनमें से कांग्रेस दस स्थानों पर प्रत्याशी चयन कर चुकी है। 18 स्थानों पर उसे भी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में पसीना आ रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के मैदान में ना उतरने से कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं कई नेताओं ने अब दल बदलकर भाजपा की सदस्यता ले ली है। इससे कांग्रेस के सामने भी संकट खड़ा होता जा रहा है। वहीं खजुराहो सीट पर समाजवादी पार्टी को उम्मीदवार उतारना है, मगर वह भी यहां पर अब तक प्रत्याशी तलाश नहीं कर पाई है। सपा इस सीट पर जातीय और सामाजिक समीकरणों के हिसाब में ही उलझी नजर आ रही है। वह इन समीकरणों को बैठाते हुए यहां पर प्रत्याशी तलाश रही है, मगर उसकी पसंद का मजबूत प्रत्याशी उसे अब तक नहीं मिला है।
गठबंधन का नहीं मिला फायदा
प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ मिलकर इस सीट पर अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था, मगर सपा प्रत्याशी को मात्र चालीस हजार वोट ही हासिल हुए थे। सपा प्रत्याशी 2019 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहा था। इसके पहले 2014 में सपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लोकसभा चुनाव लड़ा था। मगर उसका भी उसे फायदा नहीं मिला था। इसके बाद अब कांग्रेस के गठबंधन के तहत खजुराहो सीट सपा ने हासिल तो कर ली है, मगर अब तक मजबूत प्रत्याशी को वह तलाश नहीं पा रही है।
भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस से खजुराहो सीट गठबंधन के तहत लेकर समाजवादी पार्टी उलझ गई है। अब तक उसे इस सीट पर मजबूत उम्मीदवार नहीं मिला है। पार्टी नेता अब भी किसी एक नाम पर सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। इस बीच इस अंचल के कुछ पूर्व कांग्रेस विधायकों के नाम चर्चा में आए, मगर अब तक बात नहीं बनी है।
समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के तहत खजुराहो सीट अपने खाते में कांग्रेस से ली है। इसके चलते कांग्रेस को प्रदेश में अब 29 के बजाय 28 स्थानों पर ही प्रत्याशी मैदान में उतारने है। इनमें से कांग्रेस दस स्थानों पर प्रत्याशी चयन कर चुकी है। 18 स्थानों पर उसे भी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में पसीना आ रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के मैदान में ना उतरने से कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं कई नेताओं ने अब दल बदलकर भाजपा की सदस्यता ले ली है। इससे कांग्रेस के सामने भी संकट खड़ा होता जा रहा है। वहीं खजुराहो सीट पर समाजवादी पार्टी को उम्मीदवार उतारना है, मगर वह भी यहां पर अब तक प्रत्याशी तलाश नहीं कर पाई है। सपा इस सीट पर जातीय और सामाजिक समीकरणों के हिसाब में ही उलझी नजर आ रही है। वह इन समीकरणों को बैठाते हुए यहां पर प्रत्याशी तलाश रही है, मगर उसकी पसंद का मजबूत प्रत्याशी उसे अब तक नहीं मिला है।
गठबंधन का नहीं मिला फायदा
प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ मिलकर इस सीट पर अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था, मगर सपा प्रत्याशी को मात्र चालीस हजार वोट ही हासिल हुए थे। सपा प्रत्याशी 2019 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहा था। इसके पहले 2014 में सपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लोकसभा चुनाव लड़ा था। मगर उसका भी उसे फायदा नहीं मिला था। इसके बाद अब कांग्रेस के गठबंधन के तहत खजुराहो सीट सपा ने हासिल तो कर ली है, मगर अब तक मजबूत प्रत्याशी को वह तलाश नहीं पा रही है।