भारत का एकलौता गांव जो दो विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र में आता है
पोलापत्थर गांव एक जिसके विधायक – सासंद दो लेकिन समस्या ज्यों की त्यों
बैतूल से रामकिशोर पंवार
बैतूल, क्या अपने ऐसा गांव देखा है जो आजादी के बाद से लगातार होने वाले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में एक नहीं बल्कि दो विधायक एवं दो सासंदो को चुनता चला आ रहा है। ऐसा आज से नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के गठन के बाद से होता चला आ रहा है। बैतूल एवं नर्मदापुरम जिले की सीमावर्ती गांव पोला पत्थर के ग्रामीणों ने और की तरह दो तराजो पर डोलने के कारण होने वाली असुविधा के प्रति नाराजगी जाहिर कर मतदान का बहिष्कार करने के बजाय हर बार की तरह मतदान में बढ़ – चढ़ कर भाग लिया। बैतूल और नर्मदापुर जिले की सीमा क्षेत्र के पोलापत्थर गांव में बीते शुक्रवार को दूसरे क्षेत्रों की तरह ही मतदान हुआ। यह गांव दो विधायकों का चुनाव में मतदान करता है। भौरा के पास पोला पत्थर गांव का बायां हिस्सा बैतूल में और दायां हिस्सा नर्मदापुरम जिले में आता है। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के भावी विधायक के लिए गांव पोला पत्थर के कुल 194 वोटरों में 160 तथा नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक के गांव के 34 मतदाताओं ने मतदान किया। उल्लेखनीय है कि इस एक गांव के दो मतदान केंद्र दोनों जिले की अलग – अलग विधानसभा में बने थे। बैतूल के हिस्से में रहने वाले लोगों ने डेढ़ किमी दूर पैदल जाकर सालीमेंट ग्राम पंचायत में बने मतदान केंद्र पर मतदान किया, जबकि नर्मदापुरम वाले हिस्से में रहने वाले मतदाताओं ने तीन किमी दूर डांडीवाढ़ा ग्राम पंचायत मुख्यालय में जाकर मतदान में भाग लिया। ग्राम पोला पत्थर की 21 साल की कुमारी करीना इवने ने पहली बार वोट डाला। इसके अलावा गांव के 78 वर्षीय बुजुर्ग शम्भू उइके ने भी अपने मताधिकार का उपयोग किया। बैतूल जिले की शाहपुर जनपद की ग्राम पंचायत सालीमेंट में आने वाला गांव पोलापत्थर की रहवासी श्रीमती तारावती विजय उइके (पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत सालीमेट) कहती हैं कि बैतूल जिले की शाहपुर जनपद पंचायत के अधीन आने वाले इस ग्राम की ओर देखने वाला कोई नहीं है। गांव के पूर्व पंच दर्शन उइके, सुनील उइके ने बताया हाइवे पर होने के बावजूद कार्यकता वोट मांगने आते हैं, लेकिन चुने हुए प्रतिनिधि कभी गांव नहीं आते। जबकि हम हर बार अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वोट डालने जाते हैं। पंच मंगल सिंह इवने ने बताया तार डालकर अपने घरों को रोशन करना पड़ता है। सरकारी काम के लिए लंबी दूरी तय कर केसला और इटारसी जाना पड़ता है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल, अस्पताल की सुविधा होनी चाहिए। इन सब के लिए भौंरा पर निर्भर रहना पड़ता है। जहां एक ओर नर्मदरपुरम जिले की सिवनी मालवा विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे 15 उम्मीदवार तथा घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र 9 प्रत्याशी भले ही इस गांव में नहीं आए लेकिन गांव में बदलाव की उम्मीद लेकर गांव के दाये हिस्से के लोग 17 नवंबर को लोग वोट डालने के लिए 3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर ग्राम पंचायत मुख्यालय दांडीवाड़ा पोलिंग बूथ पर पहुंचे। वही दुसरी ओर गांव के बायें हिस्से के लोग े डेढ़ किमी दूर पैदल जाकर सालीमेंट ग्राम पंचायत में बने मतदान करने ग्राम सालीमेट पहुंचे। बेहद चौकान्ने वाली बात यह है कि एक गांव दो ग्राम पंचायतो में आता भले न हो पर मतदाता जरूर दो विधानसभा क्षेत्र में मतदान करने जाते है। पोला पत्थर रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य रेलवे क्षेत्र के नागपुर सीआर रेलवे डिवीजन के अंतर्गत भोपाल – नागपुर खंड का एक रेलवे स्टेशन है । यह स्टेशन भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के धार में स्थित है । भोपाल – इटारसी लाइन 1884 में भोपाल की बेगम द्वारा खोली गई थी। इटारसी और नागपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन को 1923 और 1924 के बीच जोड़ा गया था। नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा क्षेत्र में आने वाले पोला पत्थर के गांव के एक हिस्से में 10 घर और गिनती के 40 वोटर हैं। इनमें से मतदान खत्म होने के कुछ पहले तक 34 वोटर सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक को चुनने के लिए पोलिंग बूथ पर मताधिकार करने पहुंच थे। पोला पत्थर गांव में मूलभूत सुविधाएं कम हैं। बिजली तो है खंभे नहीं लगे। लोगों ने बांस.बल्लियों के सहारे तार डालकर घरों तक बिजली पहुंचाई। दो हैंडपंप हैं। एक ही चलता है। उम्मीदवारों के नहीं आने पर भी गांव के लोगों ने मतदान करने का निर्णय लिया। ग्रामीणों का कहना है लोकतंत्र के पर्व में वोट देकर हमने तो अपना कर्तव्य निभाया है। अब नेता अपना फर्ज निभाएं तो अच्छा रहेगा। सरकारी काम के लिए जाना पड़ता है केसला या इटारसी यहां के लोगों को अपने सरकारी काम के लिए लंबी दूरी तय कर केसला एवं इटारसी जाना पड़ता है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल, अस्पताल की सुविधा नहीं है। इसके लिए वे बैतूल जिले के भौंरा पर निर्भर हैं। गांव की करीना इवने ने बताया उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में पहली बार वोट डाला है। वहीं 78 वर्ष के शंभू उइके ने बताया वे भी मतदान करके आए हैं।सबसे चौकान्ने वाली एवं मजेदार बात यह है कि इस गांव को जम्मू से कन्याकुमारी तक जाने वाले सड़क एवं रेल मार्ग से जोड़ा गया है इस गांव के सामने से नेशनल हाइवे फोर लेन 47 और पीछे से छुक – छुक करती रेल प्रतिदिन गुजरती है