टिकट के दावेदार नेता पुत्र अब पिता के लिए वोट मांगने हुए विवश
भाजपा ने पुत्री से किया किनारा, पिता को मैदान में उतारा
भोपाल। भाजपा नेता पुत्रों के सपनों को भाजपा ने इस बार चकनाचूर कर दिया। उनके चुनाव लड़ने पर एक तरह से रोक लगा दी। पिता को टिकट देकर मैदान में उतारते हुए इन नेता पुत्रों को अब पिता के लिए वोट मांगने पर विवश होना पड़ रहा है।
भाजपा ने परिवारवाद के आरोपों से बचने के चलते इस बार नेता पुत्रों को चुनाव मैदान में उतारने से दूरी बना ली है। अब तक चारी हुई प्रत्याशियों की चार सूचियों में नेता पुत्रों का नाम नजर नहीं आया। यहां तक की उनके पिता जो पुत्रों के टिकट के लिए पैरवी कर रहे थे, उन्हें ही मौन रहना पड़ रहा है। भाजपा संगठन ने ऐसा दांव खेला की पुत्रों की पैरवी करने वाले पिताओं को ही मैदान में उतार दिया है। इसके चलते अब खुद पिता अपनी जीत के लिए मैदान में सक्रिय हो गए है और बेटों की मजबूरी है कि उन्हें पिता के लिए अब जनता के बीच वोट मांगना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि करीब एक दर्जन नेता अपने पीढ़ी को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए इस बार विधानसभा चुनाव मैदान में उतारना चाह रहे थे। इनमें केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के अलावा भाजपा के वरिश्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, प्रभात झा, जयंत मलैया जैसे नेताओं के नाम शुमार थे। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने बेटे कार्तिकेय को चुनाव मैदान में देखना चाह रहे थे। भाजपा ने इनमें से अधिकांश नेताओं को ही मैदान में उतार दिया है। इसके चलते अब ये नेता अपने पुत्रों के लिए टिकट की पैरवी भी नहीं कर पा रहे हैं। वैसे कैलाश विजवर्गीय इस मामले में पूर्व में सफल रहे थे, उन्होंने खुद चुनाव ना लड़ने का फैसला लेकर पिछले चुनाव में अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय को मैदान में उतार दिया था। मगर इस बार संगठन ने उन्हें इंदौर क्रमांक एक सीट से उम्मीदवार बनाकर उनके बेटे के लिए संकट खड़ा कर दिया है। माना जा रहा है कि आकाश का टिकट कट सकता है।