भाजपा के नारों में आवाज है, विश्वास नहीं
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कमलनाथ का हमला, 2024 के पहले 2023 में मतदाता का दिखेगा गुस्सा
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा की हार इस बार विधानसभा चुनाव में सुनिश्चित है। मतदाता का गुस्सा 2024 के पहले 2023 के विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के नारों में आवाज है, मगर विश्वास नहीं है। दिल्ली और भोपाल की भाजपा में अदृश्य युद्ध चल रहा है, जिससे भाजपा नेता आहत है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के हर गाँव, हर बस्ती, हर शहर के हर मतदाता तक अब ये बात फैल गयी है कि भाजपा बस दिखाने के लिए 2023 का विधानसभा का चुनाव लड़ रही है दरअसल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है, जिसमें भी उसे हार ही दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा जानती है कि वो विधानसभा बुरी तरह हार रही है तो ऐसे में भाजपा के केंद्रीय चुनावी रणनीतिकारों ने ये सोचा कि जनता का आक्रोश और ग़ुस्सा 2024 से पहले ही 2023 में ही निकलकर कुछ कम हो जाए तो शायद 2024 में भाजपा अपनी शर्मनाक हार के अंतर को थोड़ा कम कर सके। इसीलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव में अपने सांसदों को लड़वाने पर ज़ोर दे रहा है। जब विधानसभा चुनाव में ही ये सांसद हार जाएँगे तो इन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट न देने का बहाना ये कहकर मिल जाएगा कि जो भला विधानसभा नहीं जीत पाए तो वो लोकसभा क्या जीतेंगे, ऐसे में फिर नये प्रत्याशी लाकर भाजपा एंटी इंकम्बेंसी को थोड़ा कम कर पाएगी।
उन्होंने कहा कि इसीलिए दिल्ली और भोपाल की भाजपा में एक अदृश्य युद्ध चल रहा है। भाजपा की आशीर्वाद यात्राओं से लेकर चुनावी मंचों तक ये आपसी मनमुटाव भाजपाई नेताओं के चेहरों और भाषणों में साफ़ झलक रहा है। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा के नारों में आवाज़ है, विश्वास नहीं।
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा की हार इस बार विधानसभा चुनाव में सुनिश्चित है। मतदाता का गुस्सा 2024 के पहले 2023 के विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के नारों में आवाज है, मगर विश्वास नहीं है। दिल्ली और भोपाल की भाजपा में अदृश्य युद्ध चल रहा है, जिससे भाजपा नेता आहत है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के हर गाँव, हर बस्ती, हर शहर के हर मतदाता तक अब ये बात फैल गयी है कि भाजपा बस दिखाने के लिए 2023 का विधानसभा का चुनाव लड़ रही है दरअसल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है, जिसमें भी उसे हार ही दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा जानती है कि वो विधानसभा बुरी तरह हार रही है तो ऐसे में भाजपा के केंद्रीय चुनावी रणनीतिकारों ने ये सोचा कि जनता का आक्रोश और ग़ुस्सा 2024 से पहले ही 2023 में ही निकलकर कुछ कम हो जाए तो शायद 2024 में भाजपा अपनी शर्मनाक हार के अंतर को थोड़ा कम कर सके। इसीलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव में अपने सांसदों को लड़वाने पर ज़ोर दे रहा है। जब विधानसभा चुनाव में ही ये सांसद हार जाएँगे तो इन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट न देने का बहाना ये कहकर मिल जाएगा कि जो भला विधानसभा नहीं जीत पाए तो वो लोकसभा क्या जीतेंगे, ऐसे में फिर नये प्रत्याशी लाकर भाजपा एंटी इंकम्बेंसी को थोड़ा कम कर पाएगी।
उन्होंने कहा कि इसीलिए दिल्ली और भोपाल की भाजपा में एक अदृश्य युद्ध चल रहा है। भाजपा की आशीर्वाद यात्राओं से लेकर चुनावी मंचों तक ये आपसी मनमुटाव भाजपाई नेताओं के चेहरों और भाषणों में साफ़ झलक रहा है। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा के नारों में आवाज़ है, विश्वास नहीं।