सिंधिया समर्थकों के बाद बसपा नेताओं पर कांग्रेस की नजर
बाहरी नेताओं के सहारे कमजोर सीटों को मजबूत करने का प्रयास
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा को करारी शिकस्त देने के लिए कांग्रेस ने अब ग्वालियर-चंबल अंचल के बाद बुंदेलखंड और विंध्य अंचल को मजबूत करने की रणनीति पर काम तेज किया है। इन अंचलों में सिंधिया समर्थकों के बाद अब कांग्रेस की नजरें बसपा से जुड़े उन जमीनी नेताओं पर टिकी है, जिनका खासा जनाधार है। इन नेताओं के सहारे कांग्रेस अपनी कमजोर सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
प्रदेश में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधया को उनके गढ़ ग्वालियर-चंबल अंचल में कमजोर करने की रणनीति पर काम कर चुकी कांग्रेस अब अपनी कमजोर सीटों को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस ने सिंधिया को करारा झटका दिया है। इस अंचल में कांग्रेस कई नेताओं को अपनी पार्टी में ष्शामिल कर चुकी है। साथ ही भाजपा के कद्दावर नेताओं को भी अपने साथ लाने में वह सफल रही है। ग्वालियर-चंबल अंचल में सिंधिया समर्थक नेताओं को अपने पाले में लाने के बाद अब कांग्रेस का लक्ष्य बुंदेलखंड और विंध्य अंचल है। इन अंचलों में कांग्रेस नेताओं की नजरें भाजपा नेताओं से ज्यादा बसपा से जुड़े उन नेताओं पर टिकी है, जिनका अपने क्षेत्र में खासा जनाधर है। इन नेताओं को कांग्रेस ने अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम करना तेज कर दिया है। इस रणनीति के तहत कल 2 सितंबर को बुंदेलखंड के नेता गुड्डू राजा बुंदेला को पार्टी की सदस्यता दिलाने की तैयारी हो चुकी है। बुंदेला के अलावा कांग्रेस की नजरें अन्य बसपा नेताओं पर भी टिकी हैं। वहीं भाजपा द्वारा घोषित की पहली सूची में बुंदेलखंड की आधा दर्जन सीटों पर जहां पर प्रत्याशियों का खासा विरोध हुआ है, इन सीटों पर कांग्रेस की नजरें भाजपा नेताओं पर भी है।
विंध्य में भी समीकरण साधने का प्रयास
बुंदेलखंड के अलावा भाजपा कांग्रेस ने विंध्य अंचल में पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को सक्रिय किया हुआ है। इस अंचल में पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी के बेटे और बहू देवराज बागरी और वंदना बागरी को अपने पक्ष में ला चुकी है। इसके अलावा बसपा नेता सईद अहमद की भी कांग्रेस ने बसपा से घर वापसी कराते हुए फिर से कांग्रेस में शामिल कर लिया है। वहीं इस अंचल की उन सीटों पर कांग्रेस की नजर है, जहां पर बसपा का खासा जनाधार है। इन सीटों पर कांग्रेस बसपा नेताओं के सहारे अपने को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।