पासवर्ड और PassKey में क्या है अंतर? कैसे आएगा यूज़र्स के काम
पासवर्ड से तो हम सब के लिए एक परिचित टर्म है. ये किसी भी अकाउंट की सिक्योरिटी के लिए होता है. इसके बिना सोशल मीडियो, नेटबैंकिग जैसे अकाउंट को एक्सेस नहीं किया जा सकता है. लेकिन आजकल एक और टर्म है जो काफी पॉपुलर होने लगा है, वह ‘Passkey’ है. जी हां कहा जा रहा है कि बहुत जल्द एक टाइम आएगा जब पासवर्ड की जगह पासकी ले लेगा. लेकिन आखिर ये पासकी है क्या और कैसे काम करता है, आइए जानते हैं… PassKey एक ऐसा सिस्टम है जो आपको बिना पासवर्ड के किसी भी साइट पर Login करने की अनुमति देता है. दरअसल ये बायोमेट्रिक पर बेस्ड होता है, और इसे अब पासवर्ड के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. पासकी अकाउंट को ज़्यादा सुरक्षित रखने के लिए Cryptography तकनीक का इस्तेमाल करता है. खास बात ये है कि पावसवर्ड की तरह इसमें कैरेक्टर याद रखने की झंझट नहीं है, और यूज़र आसानी से अपने डिवाइस से पासकी का इस्तेमाल कर सकते हैं. पासकी जेरनेट करने के लिए Web Authentication का इस्तेमाल किया जाता है. पासकी दो स्टेप-पब्लिक की और प्राइवेट Key के साथ आती है. पब्लिक key वेबसाइट पर स्टोर होती है, वहीं प्राइवेट key यूज़र डिवाइस पर स्टोर की जाती है. जानकारी के लिए बता दें कि पासकी सिर्फ उन वेबसाइट्स और ऐप्स पर इस्तेमाल की जा सकती हैं, जिनमें यह फीचर दिया गया है, यानी कि जिसपर इसका सपोर्ट मिलता हो. इसके लिए सबसे पहले आपको लॉक सेटअप करना होगा (चाहे वह कोई PIN हो, फेशियल रिकग्निशन हो या फिर फिंगरप्रिंट सेंसर हो). इसके बाद जब आप साइन-इन करेंगे तब गूगल क्रोम अपने आप ही ऑटो-फिल फीचर का इस्तेमाल करेगा, और आपको पासवर्ड डालने की ज़रूरत नहीं होगी. ऐपल भी करता है सपोर्ट… Apple ने iOS 16 रिलीज़ करते समय iPhone के लिए पासकी को लागू किया है. iPhone पर टच आईडी और फेस आईडी पासकी का इस्तेमाल किया जा सकता है. विंडोज यूज़र्स माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज हैलो का इस्तेमाल करके विंडोज 10 और 11 में पासकी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी तरह, क्रोम, एज, फायरफॉक्स, सफारी जैसे कई वेब ब्राउज़र पासकी सपोर्ट के साथ आ रहे हैं.