प्रदेश में चरमराई कानून और शिक्षा व्यवस्था : पटवारी
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भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश की कानून और शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त और चरमराई हुई है। स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में चिंताजनक गिरावट दर्ज की गई है। स्कूली शिक्षा के हालात इतने बदतर है कि पिछले आठ साल से स्कूलों से 22 लाख बच्चे गायब हैं, स्कूलों से रोज 1000 बच्चें कम हो रहे हैं। उन्होंने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि सरकार इस मामले पर मौन है, जबकि सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
पटवारी ने प्रदेश में सरकारी शिक्षकों द्वारा बच्चों को स्कूल लाने वाले सरकारी मिशन पर सवाल उठाते हुये कहा कि जिस तरह से यह मिशन चलाया जा रहा है वह केवल कागजी ढकोसला बना हुआ है। स्कूल शिक्षा की अव्यवस्थाओं और लापरवाही के चलते कक्षा एक से पांच तक के 635434 बच्चे कम हुये हैं तो कक्षा 6 से 8 तक के 483171 बच्चे कम हुये हैं। इतना ही नहीं पिछले आठ साल में सरकारी स्कूलों में 12.23 लाख और निजी स्कूलों में 9.29 लाख बच्चे कम हुये हैं। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बुधवार को विधायक प्रताप ग्रेवाल ने एक सवाल के जवाब में विधानसभा की कार्यवाही के दौरान दी है। पटवारी ने कहा कि निजी स्कूलों में 2011 की कुल संख्या के आधार पर लगभग 20 प्रतिशत एवं सरकारी स्कूलों में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है। जबकि बच्चों की जनसंख्या में 12 प्रतिशत (12 लाख) की वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में लालफीताशाही और मूलभूत सुविधाओं की कमी और निजी स्कूलों में सरकार के संरक्षण में व्यापारीकरण और लूट-खसोट मची हुई है।
पटवारी ने प्रदेश में सरकारी शिक्षकों द्वारा बच्चों को स्कूल लाने वाले सरकारी मिशन पर सवाल उठाते हुये कहा कि जिस तरह से यह मिशन चलाया जा रहा है वह केवल कागजी ढकोसला बना हुआ है। स्कूल शिक्षा की अव्यवस्थाओं और लापरवाही के चलते कक्षा एक से पांच तक के 635434 बच्चे कम हुये हैं तो कक्षा 6 से 8 तक के 483171 बच्चे कम हुये हैं। इतना ही नहीं पिछले आठ साल में सरकारी स्कूलों में 12.23 लाख और निजी स्कूलों में 9.29 लाख बच्चे कम हुये हैं। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बुधवार को विधायक प्रताप ग्रेवाल ने एक सवाल के जवाब में विधानसभा की कार्यवाही के दौरान दी है। पटवारी ने कहा कि निजी स्कूलों में 2011 की कुल संख्या के आधार पर लगभग 20 प्रतिशत एवं सरकारी स्कूलों में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है। जबकि बच्चों की जनसंख्या में 12 प्रतिशत (12 लाख) की वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में लालफीताशाही और मूलभूत सुविधाओं की कमी और निजी स्कूलों में सरकार के संरक्षण में व्यापारीकरण और लूट-खसोट मची हुई है।