अफीम लायसेंस में गड़बड़ी मामले को गंभीरत से लिया वित्त मंत्रालय ने
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प्रक्रिया की निगरानी के लिए तैनात किया दल
भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अफीम लायसेंस जारी करने में सोशल मीडिया पर उठी गड़बड़ी की आशंका पर खास तौर पर गौर किया है। इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए निगरानी दल भी तैनात कर दिया है।
प्रदेश के मंदसौर संसदीय क्षेत्र के बड़े हिस्से में अफीम की खेती की जाती है, इसके लिए नारकोटिक्स विभाग लायसेंस जारी करता है। इस मामले को लेकर क्षेत्रीय सासंद सुधीर गुप्ता ने नारकोटिक्स आयुक्त ग्वालियर को पत्र लिखा। सांसद के इस पत्र के साथ जागरूक नागरिक जिनेंद्र सुराना ने सोषल मीडिया पर अपनी राय जाहिर की और सांसद के पत्र का हवाला देते हुए लिखा कि नारकोटिक्स आयुक्त ग्वालियर को सांसद गुप्ता ने पत्र लिखकर अफीम उत्पादक किसानों को धीमी गति से लायसेंस जारी करने की बात कही है। साथ में यह भी कहा है कि लाइसेंस देने की इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए और ‘लेनदेन‘की शिकायतें नहीं मिलें। सुराना ने लिखा कि इस पत्र से यह स्पष्ट है कि जरूर कुछ तो दाल में काला है। सांसद की यह भी मजबूरी है कि वे अपनी सरकार के एक विभाग के विरुद्ध खुलकर आरोप कैसे लगाएं। इसलिए उन्होंने सिर्फ इशारे में अपनी बात कही है।
वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में लिखा है, “अनुमानतः 1,07,000 पात्र कृषक हैं। अब तक 85 हजार किसानों ने लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है और लगभग 60 हजार लाइसेंस जारी किए गए हैं। 20 से अधिक वर्षों के बाद 16 हजार को दोबारा लाइसेंस मिल रहा है। वे लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग निश्चित रूप से आवश्यक कदम उठाएगा और प्रक्रिया में तेजी लाएगा और पारदर्शिता बनाए रखेगा। मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि दिल्ली से वरिष्ठ अधिकारियों को भी सीबीएन साइट का दौरा करने और प्रक्रिया की समग्र निगरानी सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया गया है। वित्त मंत्रालय के इस जवाब को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी री पोस्ट किया है।
भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अफीम लायसेंस जारी करने में सोशल मीडिया पर उठी गड़बड़ी की आशंका पर खास तौर पर गौर किया है। इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए निगरानी दल भी तैनात कर दिया है।
प्रदेश के मंदसौर संसदीय क्षेत्र के बड़े हिस्से में अफीम की खेती की जाती है, इसके लिए नारकोटिक्स विभाग लायसेंस जारी करता है। इस मामले को लेकर क्षेत्रीय सासंद सुधीर गुप्ता ने नारकोटिक्स आयुक्त ग्वालियर को पत्र लिखा। सांसद के इस पत्र के साथ जागरूक नागरिक जिनेंद्र सुराना ने सोषल मीडिया पर अपनी राय जाहिर की और सांसद के पत्र का हवाला देते हुए लिखा कि नारकोटिक्स आयुक्त ग्वालियर को सांसद गुप्ता ने पत्र लिखकर अफीम उत्पादक किसानों को धीमी गति से लायसेंस जारी करने की बात कही है। साथ में यह भी कहा है कि लाइसेंस देने की इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए और ‘लेनदेन‘की शिकायतें नहीं मिलें। सुराना ने लिखा कि इस पत्र से यह स्पष्ट है कि जरूर कुछ तो दाल में काला है। सांसद की यह भी मजबूरी है कि वे अपनी सरकार के एक विभाग के विरुद्ध खुलकर आरोप कैसे लगाएं। इसलिए उन्होंने सिर्फ इशारे में अपनी बात कही है।
वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में लिखा है, “अनुमानतः 1,07,000 पात्र कृषक हैं। अब तक 85 हजार किसानों ने लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है और लगभग 60 हजार लाइसेंस जारी किए गए हैं। 20 से अधिक वर्षों के बाद 16 हजार को दोबारा लाइसेंस मिल रहा है। वे लाइसेंस के लिए आवेदन करने से पहले अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग निश्चित रूप से आवश्यक कदम उठाएगा और प्रक्रिया में तेजी लाएगा और पारदर्शिता बनाए रखेगा। मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि दिल्ली से वरिष्ठ अधिकारियों को भी सीबीएन साइट का दौरा करने और प्रक्रिया की समग्र निगरानी सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया गया है। वित्त मंत्रालय के इस जवाब को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी री पोस्ट किया है।