शाह को मंत्री बनने का इंतजार, निर्मला असमंजस में
0
रावत रहे फायदे में, अब उपचुनाव जीतने के लिए बहाना होगा पसीना
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के चलते कांग्रेस के तीन विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा की सदस्यता ली थी। इनमें से रामनिवास रावत को तो अमरवाड़ा में हुए उपचुनाव के दौरान मंत्री पद मिल गया, मगर अमरवाड़ा से उपचुनाव जीतने वाले कमलेश शाह को अब भी मंत्री बनने का इंतजार है। वहीं बीना से कांग्रेस विधायक असमंजस में है। वे ना तो कांग्रेस से विधायकी छोड़ पा रही और ना ही भाजपा में शामिल होने की बात कह पा रही हैं।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में गए नेताओं और तीन विधायकों के लिए पद पाना काफी मुश्किल हो गया है। इनमें रामनिवास रावत को तो मंत्री पद मिल गया। इसके बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर उपचुनाव की राह पकड़ी। रावत को अमरवाड़ा में उपचुनाव के अंतिम दौर में भाजपा ने मंत्री पद देकर अमरवाड़ा चुनाव जीत की राह को आसान बनाया था। मगर यहां से जीत हासिल करने वाले कमलेश शाह को अब भी मंत्री बनने का इंतजार है। शाह को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा के भीतर कांग्रेस से आए नेताओं को मंत्री पद दिए जाने के बाद शाह का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। भाजपा के अंदर बढ़ते असंतोष और शाह को दिए गए आश्वासन के पूरा न होने के कारण अब पार्टी के भीतर खटास बढ़ने लगी है। शाह के उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद से अब तक मंत्रिमंडल पुनर्गठन की बातें जरूर हुई, मगर पुनर्गठन हुआ नहीं। साथ ही निगम, मंडल और प्राधिकरणों में भी नियुक्तियां अटकी हुई है। वहीं रावत को मंत्री बनाए जाने से भाजपा में उठे सवालों ने कमलेश शाह की राह में रोड़ा अटका दिया है। गौरतलब है कि रावत ने मंत्री बनने के बाद विधायकी से इस्तीफा दिया और अब उनके विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। रावत को अब यहां जीत के लिए पसीना बहाना होगा। रावत से स्थानीय भाजपा का कार्यकर्ता अब भी नाराज है। वैसे संगठन कार्यकर्ता को साधने का प्रयास कर रहा है।
राजनीतिक अनिश्चितता में फंसी निर्मला
बीना से कांग्रेस की विधायक निर्मला सप्रे की भाजपा में शामिल हुई। इसके बाद से वे भी लगातार विवादों में घिरी रही है। भाजपा से हरी झंडी न मिलने के कारण उन्होंने अभी तक कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है। अब सप्रे राजनीतिक अनिश्चितता में फंसी हुई हैं। कांग्रेस ने सप्रे के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा है और उनके विधानसभा से सदस्यता खत्म करने की मांग कर रही है। बीना में कांग्रेस ने उनके खिलाफ प्रदर्शन कर उनकी स्थिति और भी मुश्किल कर दी है। कांग्रेस द्वारा उनकी सदस्यता शून्य मामले में उन्होंने 10 अक्टूबर को विधानसभा अध्यक्ष को अपना जवाब भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी की ही सदस्य हैं। उन्होंने कोई दूसरा राजनीतिक दल की सदस्यता नहीं ली। जबकि बीना में निर्मला सप्रे ने भाजपा में जाने का खुद ऐलान किया। हालांकि यह मामला विधानसभा में विचाराधीन है। सूत्रों की माने तो निर्मला को भाजपा में जाने के बाद उनसे किए वादों को पूरा होने की उम्मीद नहीं है।
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के चलते कांग्रेस के तीन विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा की सदस्यता ली थी। इनमें से रामनिवास रावत को तो अमरवाड़ा में हुए उपचुनाव के दौरान मंत्री पद मिल गया, मगर अमरवाड़ा से उपचुनाव जीतने वाले कमलेश शाह को अब भी मंत्री बनने का इंतजार है। वहीं बीना से कांग्रेस विधायक असमंजस में है। वे ना तो कांग्रेस से विधायकी छोड़ पा रही और ना ही भाजपा में शामिल होने की बात कह पा रही हैं।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में गए नेताओं और तीन विधायकों के लिए पद पाना काफी मुश्किल हो गया है। इनमें रामनिवास रावत को तो मंत्री पद मिल गया। इसके बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर उपचुनाव की राह पकड़ी। रावत को अमरवाड़ा में उपचुनाव के अंतिम दौर में भाजपा ने मंत्री पद देकर अमरवाड़ा चुनाव जीत की राह को आसान बनाया था। मगर यहां से जीत हासिल करने वाले कमलेश शाह को अब भी मंत्री बनने का इंतजार है। शाह को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा के भीतर कांग्रेस से आए नेताओं को मंत्री पद दिए जाने के बाद शाह का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। भाजपा के अंदर बढ़ते असंतोष और शाह को दिए गए आश्वासन के पूरा न होने के कारण अब पार्टी के भीतर खटास बढ़ने लगी है। शाह के उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद से अब तक मंत्रिमंडल पुनर्गठन की बातें जरूर हुई, मगर पुनर्गठन हुआ नहीं। साथ ही निगम, मंडल और प्राधिकरणों में भी नियुक्तियां अटकी हुई है। वहीं रावत को मंत्री बनाए जाने से भाजपा में उठे सवालों ने कमलेश शाह की राह में रोड़ा अटका दिया है। गौरतलब है कि रावत ने मंत्री बनने के बाद विधायकी से इस्तीफा दिया और अब उनके विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। रावत को अब यहां जीत के लिए पसीना बहाना होगा। रावत से स्थानीय भाजपा का कार्यकर्ता अब भी नाराज है। वैसे संगठन कार्यकर्ता को साधने का प्रयास कर रहा है।
राजनीतिक अनिश्चितता में फंसी निर्मला
बीना से कांग्रेस की विधायक निर्मला सप्रे की भाजपा में शामिल हुई। इसके बाद से वे भी लगातार विवादों में घिरी रही है। भाजपा से हरी झंडी न मिलने के कारण उन्होंने अभी तक कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है। अब सप्रे राजनीतिक अनिश्चितता में फंसी हुई हैं। कांग्रेस ने सप्रे के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा है और उनके विधानसभा से सदस्यता खत्म करने की मांग कर रही है। बीना में कांग्रेस ने उनके खिलाफ प्रदर्शन कर उनकी स्थिति और भी मुश्किल कर दी है। कांग्रेस द्वारा उनकी सदस्यता शून्य मामले में उन्होंने 10 अक्टूबर को विधानसभा अध्यक्ष को अपना जवाब भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी की ही सदस्य हैं। उन्होंने कोई दूसरा राजनीतिक दल की सदस्यता नहीं ली। जबकि बीना में निर्मला सप्रे ने भाजपा में जाने का खुद ऐलान किया। हालांकि यह मामला विधानसभा में विचाराधीन है। सूत्रों की माने तो निर्मला को भाजपा में जाने के बाद उनसे किए वादों को पूरा होने की उम्मीद नहीं है।