आईएएस नियाज बदलेंगे सरनेम, माइकल ए नाम से करेंगे लेखन
0
पश्चिमी देशों में खान सरनेम के कारण किताबें हो रही रिजेक्ट
भोपाल। मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी नियाज खान अब अपना खान सरनेम बदलने जा रहे हैं। वे अब माइकन ए नाम के नाम से अपना लेखन कार्य जारी रखेंगे। नियाज खान का मानना है कि उनका सरनेम उनकी लोकप्रियता को प्रभावित कर रहा हैं, खासकर पश्चिमी देशों में। उनका कहना है कि यूएसए और यूके में उनकी किताबें खान सरनेम के कारण रिजेक्ट की जा रही हैं, इसके चलते उन्होंने यह फैसला लिया है। उनके उपन्यासों में वे ग्लोबल स्तर के विषय उठाते रहे हैं। जल्द ही नए सरनेम से उनकी दो किताबें भी आ रही हैं।
लोक निर्माण विभाग में उपसचिव पद पर कार्यरत खान ने बताया कि वे अपने पुराने उपन्यासों के लेखक के नाम को भी बदलकर माइकन ए करेंगे। उन्होंने कहा कि खान सरनेम के कारण मेरी किताबें कई देशों में अच्छी होने के बावजूद रिजेक्ट हो जाती हैं, इससे मेरी पहचान में भी एक विचारधारात्मक समस्या सामने आती है। खान का कहना है कि उनके नाना ने बचपन में उन्हें माइकन ए नाम दिया था, और अब वे इसी नाम से साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाएंगे। उन्होंने बताया कि खान सरनेम को लेकर कुछ देशों में नकारात्मक धारणा बन गई है। उन्होंने वहां उनकी किताबें भेजी, मगर सिर्फ सरनेम के कारण उनके प्रति पाठकों की रूचि नजर नहीं आई। खासकर पश्चिमी देशों में उनकी किताबों को उतनी लोकप्रियता नहीं मिलती, जितनी एशियाई देशों में मिलती है। इसी वजह से उन्होंने अपने नाम माइकन ए को अपनाने का निर्णय लिया है।
इस्लामोफोबिया के कारण खान उपनाम को नहीं मिल रही प्रतिक्रिया
नियाज खान ने कहा कि दुनिया भर में इस्लामोफोबिया इतना ज्यादा है कि ’खान’ उपनाम के साथ उनके साहित्यिक काम को उचित प्रतिक्रिया नहीं मिलती है। उन्होंने दावा किया कि मैंने सैकड़ों बार यूनाइटेड किंगडम और यूएसए को पांडुलिपियां भेजी हैं, लेकिन खान उपनाम के कारण उन्हें खारिज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि मैं दो उपन्यास लिख रहा हूं इनोसेंट शूटर और वायरस किल्ड माई लवर और उनमें मेरा नया उपनाम माइकन ए होगा। उन्होंने कहा कि अब उन्होंने अपने साहित्यिक कार्यों के लिए एक नई पहचान अपनाने का फैसला किया है ताकि इसे बिना किसी झिझक के स्वीकार किया जा सके।
सोशल मीडिया पर टिप्पणी को लेकर चर्चाओं में रहें हैं खान
नियाज खान ने फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष पर आधारित ‘ब्राउन डेजर्ट आईवी-786’ नामक उपन्यास लिखा है, जिसे 12 साल की रिसर्च के बाद पूरा किया गया है। यह एक सस्पेंस थ्रिलर है, जिसमें 340 पेज हैं। इससे पहले भी खान अपनी किताब ‘ब्राह्मण द ग्रेट’ को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। खान ने 2022 में कश्मीर को लेकर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर टिप्पणी करते हुए फिल्म निर्माताओं से आग्रह किया था कि वे भारत के मुस्लिमों को को लेकर भी फिल्म बनाए। खान द्वारा लिखे जाने वाले उपन्यास सामाजिक मुद्दों पर आधारित रहते हैं। सोशल मीडिया पर कई बार उनके द्वारा किए गए ट्वीट विवाद का कारण भी बने हैं।
भोपाल। मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी नियाज खान अब अपना खान सरनेम बदलने जा रहे हैं। वे अब माइकन ए नाम के नाम से अपना लेखन कार्य जारी रखेंगे। नियाज खान का मानना है कि उनका सरनेम उनकी लोकप्रियता को प्रभावित कर रहा हैं, खासकर पश्चिमी देशों में। उनका कहना है कि यूएसए और यूके में उनकी किताबें खान सरनेम के कारण रिजेक्ट की जा रही हैं, इसके चलते उन्होंने यह फैसला लिया है। उनके उपन्यासों में वे ग्लोबल स्तर के विषय उठाते रहे हैं। जल्द ही नए सरनेम से उनकी दो किताबें भी आ रही हैं।
लोक निर्माण विभाग में उपसचिव पद पर कार्यरत खान ने बताया कि वे अपने पुराने उपन्यासों के लेखक के नाम को भी बदलकर माइकन ए करेंगे। उन्होंने कहा कि खान सरनेम के कारण मेरी किताबें कई देशों में अच्छी होने के बावजूद रिजेक्ट हो जाती हैं, इससे मेरी पहचान में भी एक विचारधारात्मक समस्या सामने आती है। खान का कहना है कि उनके नाना ने बचपन में उन्हें माइकन ए नाम दिया था, और अब वे इसी नाम से साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाएंगे। उन्होंने बताया कि खान सरनेम को लेकर कुछ देशों में नकारात्मक धारणा बन गई है। उन्होंने वहां उनकी किताबें भेजी, मगर सिर्फ सरनेम के कारण उनके प्रति पाठकों की रूचि नजर नहीं आई। खासकर पश्चिमी देशों में उनकी किताबों को उतनी लोकप्रियता नहीं मिलती, जितनी एशियाई देशों में मिलती है। इसी वजह से उन्होंने अपने नाम माइकन ए को अपनाने का निर्णय लिया है।
इस्लामोफोबिया के कारण खान उपनाम को नहीं मिल रही प्रतिक्रिया
नियाज खान ने कहा कि दुनिया भर में इस्लामोफोबिया इतना ज्यादा है कि ’खान’ उपनाम के साथ उनके साहित्यिक काम को उचित प्रतिक्रिया नहीं मिलती है। उन्होंने दावा किया कि मैंने सैकड़ों बार यूनाइटेड किंगडम और यूएसए को पांडुलिपियां भेजी हैं, लेकिन खान उपनाम के कारण उन्हें खारिज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि मैं दो उपन्यास लिख रहा हूं इनोसेंट शूटर और वायरस किल्ड माई लवर और उनमें मेरा नया उपनाम माइकन ए होगा। उन्होंने कहा कि अब उन्होंने अपने साहित्यिक कार्यों के लिए एक नई पहचान अपनाने का फैसला किया है ताकि इसे बिना किसी झिझक के स्वीकार किया जा सके।
सोशल मीडिया पर टिप्पणी को लेकर चर्चाओं में रहें हैं खान
नियाज खान ने फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष पर आधारित ‘ब्राउन डेजर्ट आईवी-786’ नामक उपन्यास लिखा है, जिसे 12 साल की रिसर्च के बाद पूरा किया गया है। यह एक सस्पेंस थ्रिलर है, जिसमें 340 पेज हैं। इससे पहले भी खान अपनी किताब ‘ब्राह्मण द ग्रेट’ को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। खान ने 2022 में कश्मीर को लेकर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर टिप्पणी करते हुए फिल्म निर्माताओं से आग्रह किया था कि वे भारत के मुस्लिमों को को लेकर भी फिल्म बनाए। खान द्वारा लिखे जाने वाले उपन्यास सामाजिक मुद्दों पर आधारित रहते हैं। सोशल मीडिया पर कई बार उनके द्वारा किए गए ट्वीट विवाद का कारण भी बने हैं।
7 खिलाड़ियों को शासकीय नियुक्तियों के नियुक्ति पत्र भी दिए हैं।