परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति की निरस्त
कांग्रेस ने उठाया सवाल, नियुक्तियां वैध थी तो निरस्त क्यों की
भोपाल। प्रदेश में व्यापमं का ‘जिन्न’ एक बार फिर बाहर आया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त की है। 12 साल बाद सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियां निरस्त कर दी हैं।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने हाईकोर्ट में जिरह के दौरान नियुक्तियों को वैध ठहराया था। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा कि अगर नियुक्तियां वैध थी तो अब निरस्त क्यों की गई है? व्यापमं ने साल 2012 में परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा ली थी। व्यापमं ने 198 आरक्षकों के बजाय 332 आरक्षकों का चयन किया था। महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित सीटों पर 45 पुरुष अभ्यर्थियों को शासन ने चयनित कर लिया था। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री व मौजूदा उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिए जाने की मांग की है।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 में व्यापमं ने 198 रिक्त पदों के खिलाफ 332 आरक्षकों की भर्ती की थी। इनमें से 45 आरक्षकों की नियुक्ति अब रद्द की गई है। इन नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर जानकारी देने को कहा था। दरअसल नियुक्ति में अनियमितता की गई थी। इसमें महिलाओं के पद पर पुरुषों की भर्ती कर ली गई थी। कई अभ्यर्थियों ने अपने गलत पते लिखाई थे। वहीं, 17 अभ्यर्थियों ने मामला सामने आने के बाद आदेश मिलने के बाद भी ज्वाइंन नहीं किया था। तत्कालीन परिवहन आयुक्त के आदेश से यह नियुक्तियां की गई थी। व्यापमं द्वारा की गई इस प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसके बाद लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2023 और अप्रैल 2024 में नियुक्तियों को अवैधानिक मानते हुए सरकार को निरस्त कर जानकारी देने को कहा था। अब सरकार ने परिवहन आयुक्त को नियुक्ति रद्द करने के निर्देश दिए हैं।