पांच सौ शिक्षकों की नौकरी खतरे में, बीएड की जगह डीएड होना जरूरी
लोक शिक्षण संचालनालय ने बुलाई जिलों से जानकारी
भोपाल। प्रदेश में अब प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए बीएड की जगह डीएड होगा जरूरी होगा। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी को दिया आदेश भी जारी किया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार प्रदेश में प्राइमरी भर्ती से जुड़े नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के चलते पांच सौ शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। अब शिक्षा विभाग ने जिलों से जानकारी बुलाई है।
बता दें कि 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक की व्यावसायिक योग्यता बीएड से संबंधित एक आदेश पारित किया था। जिसमें एनसीटीई की 28 जून 2018 को निरस्त कर दिया गया था। कोर्ट के आदेश अनुसार बीएड योग्यता वाले उम्मीदवार प्राइमरी शिक्षक बनने के पात्र नहीं होंगे। अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक नियोजन में शामिल न करने से जुड़ी याचिकाओं पर जबलपुर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि 11 अगस्त 2023 से पहले हुई नियुक्ति को मान्य किया जाएगा।
पांच सौ प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी खतरे में
इसका मतलब यह है कि पिछले एक वर्षों में बीएड डिग्री के जरिए हुई प्राइमरी शिक्षक नियुक्तियों को मान्यता प्रदान नहीं की जाएगी। लोक शिक्षण संचालनालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से ऐसी नियुक्ति को रद्द करने का आदेश जारी किया है। सरकार के इस फैसले से पांच सौ से अधिक प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी खतरे में है।
जिलों से बुलाए रिकार्ड
नोटिस जारी करते हुए लोक शिक्षण संचालनालय ने इस संबंध में जिला अधिकारियों को जिले में उपलब्ध रिकॉर्ड की जांच करने बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने को कहा है। साथ ही बीएड के जरिए नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों की जानकारी भेजने के निर्देश भी दिया है। यदि इस सूची में किसी कैंडीडेट की योग्यता गलती से बीएड के स्थान पर डीएड लिखा है तो उसकी नियुक्ति भी निरस्त होगी। तत्काल प्रभाव से कार्यवाही करने का आदेश दिया गया है। एक हफ्ते के भीतर कार्यवाही से संबंधित रिपोर्ट भी मांगी है।