माईग्रेसन सर्टीफिकेट में सीरियल नंबर नहीं, विद्यार्थी हुए परेशान
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शिक्षा मंडल बोर्ड से भी नहीं मिली विद्यार्थियों को राहत
भोपाल। बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले कई विद्यार्थियों के माइग्रेशन सर्टिफिकेट पर सीरियल नंबर अंकित नहीं होने से वे कॉलेजों प्रवेश के लिए परेशान हो रहे हैं। कई कॉलेजों ने तो प्रमाणपत्रों को अमान्य मान लिया है। इसके बाद जब विद्यार्थी माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड पहुंचे तो वहां भी उनकी सुनी नहीं गई।
बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण कर कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले कई विद्यार्थियों को मिले माइग्रेशन सर्टिफिकेट में सीरियल नंबर अंकित नहीं थे। इस बात की जानकारी भी उन्हें उस वक्त लगी जब कॉलेजों में प्रवेश के बाद उन्होंने अपने माइग्रेशन सर्टिफिकेट दस्तावेजों की जांच के दौरान दिखाए। इस स्थिति में कुछ कॉलेजों ने तो उन्हें अमान्य कर दिया, जबकि कुछ कॉलेजों ने विद्यार्थियों को सुधार कराकर दूसरा सर्टिफिकेट लगाने को कहा। जब विद्यार्थी अपनी समस्या को लेकर माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड कार्यालय पहुंचे तो उन्हें वहां राहत तो नहीं मिली, बल्कि मुसीबत का सामना करना पड़ा। इन विद्यार्थियों को बोर्ड के अधिकारियों ने साफ कह दिया कि त्रुटि को सुधार नहीं की जा सकेगी। हालाँकि, बोर्ड ने इस मामले को लेकर अपनी वेबसाइट पर स्पष्टीकरण जारी किया है। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, प्रमाणपत्र एक निजी फर्म द्वारा मुद्रित किए जाते हैं और इसलिए फर्म को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और प्रमाणपत्रों को दोबारा मुद्रित करना चाहिए। अन्यथा माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड को इन्हें दोबारा छापने का खर्च वहन करना होगा, जिसमें उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है।
विद्यार्थी दे सकते है वेबसाइट पर जारी स्पश्टीकरण का हवाला
हालांकि, छात्रों को असुविधा से बचने के लिए बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर एक स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने कहा गया है कि अगर कोई विश्वविद्यालय माइग्रेशन सर्टिफिकेट के कारण छात्रों को प्रवेश देने से इंकार करता है, तो वे वेबसाइट पर दिए गए स्पष्टीकरण का उल्लेख कर सकते हैं या बोर्ड को मेल भेज सकते हैं। जो छात्र बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे, उन्हें हर साल मार्कशीट के साथ माइग्रेशन सर्टिफिकेट दिया जाता है। कई विश्वविद्यालय बिना माइग्रेशन सर्टिफिकेट के छात्रों को प्रवेश नहीं देते हैं, जिसके शीर्ष पर आमतौर पर एक सीरियल नंबर छपा होता है।
भोपाल। बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले कई विद्यार्थियों के माइग्रेशन सर्टिफिकेट पर सीरियल नंबर अंकित नहीं होने से वे कॉलेजों प्रवेश के लिए परेशान हो रहे हैं। कई कॉलेजों ने तो प्रमाणपत्रों को अमान्य मान लिया है। इसके बाद जब विद्यार्थी माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड पहुंचे तो वहां भी उनकी सुनी नहीं गई।
बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण कर कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले कई विद्यार्थियों को मिले माइग्रेशन सर्टिफिकेट में सीरियल नंबर अंकित नहीं थे। इस बात की जानकारी भी उन्हें उस वक्त लगी जब कॉलेजों में प्रवेश के बाद उन्होंने अपने माइग्रेशन सर्टिफिकेट दस्तावेजों की जांच के दौरान दिखाए। इस स्थिति में कुछ कॉलेजों ने तो उन्हें अमान्य कर दिया, जबकि कुछ कॉलेजों ने विद्यार्थियों को सुधार कराकर दूसरा सर्टिफिकेट लगाने को कहा। जब विद्यार्थी अपनी समस्या को लेकर माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड कार्यालय पहुंचे तो उन्हें वहां राहत तो नहीं मिली, बल्कि मुसीबत का सामना करना पड़ा। इन विद्यार्थियों को बोर्ड के अधिकारियों ने साफ कह दिया कि त्रुटि को सुधार नहीं की जा सकेगी। हालाँकि, बोर्ड ने इस मामले को लेकर अपनी वेबसाइट पर स्पष्टीकरण जारी किया है। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, प्रमाणपत्र एक निजी फर्म द्वारा मुद्रित किए जाते हैं और इसलिए फर्म को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और प्रमाणपत्रों को दोबारा मुद्रित करना चाहिए। अन्यथा माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड को इन्हें दोबारा छापने का खर्च वहन करना होगा, जिसमें उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है।
विद्यार्थी दे सकते है वेबसाइट पर जारी स्पश्टीकरण का हवाला
हालांकि, छात्रों को असुविधा से बचने के लिए बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर एक स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने कहा गया है कि अगर कोई विश्वविद्यालय माइग्रेशन सर्टिफिकेट के कारण छात्रों को प्रवेश देने से इंकार करता है, तो वे वेबसाइट पर दिए गए स्पष्टीकरण का उल्लेख कर सकते हैं या बोर्ड को मेल भेज सकते हैं। जो छात्र बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे, उन्हें हर साल मार्कशीट के साथ माइग्रेशन सर्टिफिकेट दिया जाता है। कई विश्वविद्यालय बिना माइग्रेशन सर्टिफिकेट के छात्रों को प्रवेश नहीं देते हैं, जिसके शीर्ष पर आमतौर पर एक सीरियल नंबर छपा होता है।