कल्कि 2898 AD फिल्म समीक्षा- अमिताभ, कमल हासन की शानदार परफॉर्मेंस
फिल्म- कल्कि 2898 AD
डायरेक्टर- नाग अश्विन
एक्टर्स- अमिताभ बच्चन, कमल हासन, प्रभास, दीपिका पादुकोण, दिशा पाटनी, अना बेन
रेटिंग- *** (3 स्टार)
जब आप ‘कल्कि’ देखेंगे, तो आपको ‘मैड मैक्स: फ्यूरी रोड’, ‘स्टार वॉर्स’, ‘ड्यून’ और मार्वल फिल्मों की याद आएगी. मगर इन फिल्मों से जैसे इमोशन आपको ‘कल्कि’ में नहीं मिलेंगे. आप किसी भी मौके पर फिल्म से कनेक्टेड महसूस नहीं करेंगे. ये इस फिल्म की सबसे बड़ी खामी है. ‘कल्कि’ सिर्फ विज़ुअल्स के सहारे खुद को बेचने की कोशिश करती है.
कहानी- ‘कल्कि’ की शुरुआत होती है महाभारत से जहां अश्वत्थामा को शाप मिलता है कि तब तक धरती पर जीवित रहेंगे, जब तक कृष्ण खुद आकर उन्हें मोक्ष नहीं देते. उसके बाद कहानी 6000 साल आगे पहुंच जाती है यानी 2898 AD में. पूरा देश रेगिस्तान बन चुका है. इस पूरी दुनिया को चलाता है सुप्रीम यास्किन और उसकी नकाबपोश सेना. काशी में उसकी एक तिकोनी बिल्डिंग है, जिसका नाम है कॉम्प्लेक्स. यहां पर फर्टाइल महिलाओं को एक खास वजह से कैद करके रखा जाता है. जो भी यास्किन की मदद करता है, उसे कुछ यूनिट मिलते हैं. जो भी 1 मिलियन यूनिट पूरा कर लेगा, उसे पूरी सुख-सुविधा से रहने के लिए कॉम्प्लेक्स में भेज दिया जाएगा. यहीं सीन में आता है भैरवा. वो बाउंटी हंटर है. उसका एक ही मक़सद है- कॉम्प्लेक्स में पहुंचना. एक दिन अचानक कुछ ऐसा होता है कि कॉम्प्लेक्स से एक प्रेग्नेंट महिला फरार हो जाती है. उसको ढूंढने के दौरान यास्किन की सेना, भैरवा और अश्वत्थामा आपस में टकराते हैं.
फिल्म का फर्स्ट हाफ बिल्ड-अप यानी कहानी की सेटिंग में जाता है. अगर इंटरवल ब्लॉक को छोड़ दें, तो इस डेढ़ घंटे में कोई भी सीन आपके भीतर खीझ और निराशा के अलावा कोई भाव पैदा नहीं कर पाता. एक के बाद एक ऐसी चीज़ें घटित हो रही हैं, जिनका मेन प्लॉट से कोई लेना-देना नहीं है. कहीं कॉमेडी चल रही है, जिस पर हंसी नहीं आती. कहीं प्रेम कहानी चल रही है, जो आगे कहीं नहीं दिखती. बेमतलब के कैमियोज़ हो रहे हैं, ऐसा लगता है कि मेकर्स भी दर्शकों की तरह इंटरवल का इंतज़ार कर रहे हैं. क्योंकि असली फिल्म उसके बाद शुरू होती है.
‘कल्कि’ इंटरवल के बाद अपनी कमर कसती है. थोड़ी गंभीर होती है. कहानी खुलनी शुरू होती है. भैरवा और अश्वत्थामा के बीच एक फाइट सीक्वेंस है, जो फिल्म से आपकी उम्मीदें बढ़ाता है. फिल्म में अमिताभ बच्चन ने अश्वत्थामा का रोल किया है. भले इस फिल्म को लोग प्रभास के नाम पर देखने आएं. मगर ‘कल्कि’ के असली हीरो बच्चन हैं. अमिताभ ने इस पूरी फिल्म में प्रभास को ओवरशैडो करके रखा है. जो कि सुनने में यकीन से परे लगता है. इसीलिए आपको सिनेमाघरों में जाकर ये फिल्म देखनी चाहिए.
प्रभास ने फिल्म में भैरवा का रोल किया है. अमिताभ के साथ जो उनका एक्शन सीक्वेंस है, उसमें उनका काम अच्छा लगता है. दीपिका ने फिल्म में सुमती नाम की उस लड़की का रोल किया है, जो कॉम्प्लेक्स से फरार हो जाती है. वो इस फिल्म का सबसे ज़रूरी किरदार है. मगर दीपिका के पास परफॉर्म करने का कोई स्कोप नहीं है. वो कमोबेश हर सीन में सिर्फ दुखी नज़र आती हैं. कमल हासन ने सुप्रीम यास्किन का कैरेक्टर प्ले किया है. मगर वो इस फिल्म में बमुश्किल दो-तीन सीन्स में नज़र आते हैं. उनका किरदार ‘कल्कि’ के अगले पार्ट में फुल-फ्लेज्ड रोल में नज़र आएगा. इस वादे के साथ ये फिल्म खत्म होती है.