सहकारिता चुनाव को लेकर संशय, चिंता में नेता
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ऊहापोह की स्थिति, डिफाल्टर किसान बन रहे बाधा
भोपाल। सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश में सहकारिता के चुनाव कराए जाने का बकायदा कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है, लेकिन सहकारिता से जुड़े नेता अब भी इन चुनावों को लेकर आशंकित है। चुनाव होंगे या नहीं। कुछ नेताओं का मानना है कि चुनाव कराए जाने की बात विभाग ने कही है, मगर चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार होना संभव नजर नहीं आ रहा है।
मध्यप्रदेश में 2013 के बाद से अब तक सहकारिता के चुनाव नहीं हुए हैं। इस बार भी सहकारिता विभाग ने चुनाव कराए जाने का कार्यक्रम तय कर दिया, साथ ही कार्यक्रम जारी कर तीन चरणों में चुनाव कराए जाने की बात कही है, मगर चुनाव को लेकर अब भी सहकारिता से जुड़े नेताओं में असमंजस बना हुआ है। इन नेताओं को भरोसा है कि एनवक्त पर सरकार चुनाव रद्द करा सकती है। इसके पीछे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि प्रदेश में कमल नाथ सरकार के दौरान हुई ब्याज माफी की घोषणा के बाद से बड़ी संख्या में कसान डिफाल्टर की श्रेणी में आ चुके हैं। इसके चलते ये चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश में अभी 4 हजार 534 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं। इनमें वर्ष 2013 में चुनाव हुए थे, जिनके संचालक मंडल का कार्यकाल वर्ष 2018 में समाप्त हो चुका है। दुग्ध संघ, लघु वनोपज संघ, मत्स्य, मार्कफेड, बीज निगम, सिंचाई अध्यक्ष और उपभोक्ता संघ के चुनाव भी अटके पड़े हैं। करीब 11 साल बाद सहकारिता विभाग द्वारा चुनाव कराने का कार्यक्रम तो तय कर दिया गया, मगर इस प्रक्रिया को लेकर अब भी सहकारिता से जुड़े नेताओं में आशंका बनी हुई है कि चुनाव होंगे या नहीं। कुछ नेताओं का मानना है कि सहकारिता विभाग द्वारा चुनाव कराए जाने का कार्यक्रम तय किया गया है, मगर संभावना कम है कि जारी कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव हो जाएं।
भोपाल। सहकारिता विभाग द्वारा प्रदेश में सहकारिता के चुनाव कराए जाने का बकायदा कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है, लेकिन सहकारिता से जुड़े नेता अब भी इन चुनावों को लेकर आशंकित है। चुनाव होंगे या नहीं। कुछ नेताओं का मानना है कि चुनाव कराए जाने की बात विभाग ने कही है, मगर चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार होना संभव नजर नहीं आ रहा है।
मध्यप्रदेश में 2013 के बाद से अब तक सहकारिता के चुनाव नहीं हुए हैं। इस बार भी सहकारिता विभाग ने चुनाव कराए जाने का कार्यक्रम तय कर दिया, साथ ही कार्यक्रम जारी कर तीन चरणों में चुनाव कराए जाने की बात कही है, मगर चुनाव को लेकर अब भी सहकारिता से जुड़े नेताओं में असमंजस बना हुआ है। इन नेताओं को भरोसा है कि एनवक्त पर सरकार चुनाव रद्द करा सकती है। इसके पीछे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि प्रदेश में कमल नाथ सरकार के दौरान हुई ब्याज माफी की घोषणा के बाद से बड़ी संख्या में कसान डिफाल्टर की श्रेणी में आ चुके हैं। इसके चलते ये चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
गौरतलब है कि प्रदेश में अभी 4 हजार 534 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं। इनमें वर्ष 2013 में चुनाव हुए थे, जिनके संचालक मंडल का कार्यकाल वर्ष 2018 में समाप्त हो चुका है। दुग्ध संघ, लघु वनोपज संघ, मत्स्य, मार्कफेड, बीज निगम, सिंचाई अध्यक्ष और उपभोक्ता संघ के चुनाव भी अटके पड़े हैं। करीब 11 साल बाद सहकारिता विभाग द्वारा चुनाव कराने का कार्यक्रम तो तय कर दिया गया, मगर इस प्रक्रिया को लेकर अब भी सहकारिता से जुड़े नेताओं में आशंका बनी हुई है कि चुनाव होंगे या नहीं। कुछ नेताओं का मानना है कि सहकारिता विभाग द्वारा चुनाव कराए जाने का कार्यक्रम तय किया गया है, मगर संभावना कम है कि जारी कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव हो जाएं।