कांग्रेस से आए नेताओं के कारण अपने हो रहे नाराज
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विस्तारकों के खुलासे से भाजपा में चिंता
भोपाल। राजधानी में भाजपा ने मतगणना के पहले सभी लोकसभा सीटों के विस्तारकों से बूथ स्तर तक का फीडबैक लिया। इस दौरान विस्तारकों ने इस बात का भी खुलासा किया कि कुछ सीटों पर अपने ही नेताओं की नाराजगी रही। इसके पीछे मूल कारण कांग्रेस से भाजपा में आए नेता रहे हैं।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं के कारण भाजपा नेताओं की नाराजगी खुलकर नजर आ रही है। भाजपा संगठन द्वारा राजधानी में लोकसभा सीटों पर तैनात किए गए विस्तारकों की बैठक में इस बात का खुलासा खुद विस्तारकों ने किया है। विस्तारकों का कहना था कि कुछ लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस से आए नेताओं के विरोध के चलते भाजपा के अपने नेता नाराज रहे। इसके चलते पार्टी का बूथ स्तर तक माहौल बिगड़ा है। सूत्रों की माने तो विस्तारकों ने सतना, ग्वालियर, मंडला, दमोह, होशंगाबाद सहित अन्य सीटों का उदाहरण संगठन के सामने रखा और बताया कि कांग्रेस नेताओं के भाजपा में आने से यहां के हमारा मूल कार्यकर्ता और नेताओं की नाराजगी साफ नजर आई है। इन नेताओं की सक्रियता कम रही। साथ ही इनकी नाराजकी के चलते जिला संगठन भी कमजोर दिखाई दिया। इसका सीधा असर मत प्रतिशत पर पड़ा है। बूथ स्तर पर जो लक्ष्य तय किया गया था, पार्टी कई बूथों मत प्रतिशत बढ़ाने में ये नाराजगी सबसे बड़ा कारण बनी है।
सूत्रों की माने तो विस्तारकों के रिपोर्ट के बाद यह बात भी सामने आई है कि करीब आधा दर्जन सीटों पर भाजपा का कड़ा मुकाबला है। यहां के परिणाम कुछ भी हो सकते हैं। इसके पीछे बूथ स्तर पर मतदान का प्रतिशत ना बढ़ना भी एक कारण है।
भोपाल। राजधानी में भाजपा ने मतगणना के पहले सभी लोकसभा सीटों के विस्तारकों से बूथ स्तर तक का फीडबैक लिया। इस दौरान विस्तारकों ने इस बात का भी खुलासा किया कि कुछ सीटों पर अपने ही नेताओं की नाराजगी रही। इसके पीछे मूल कारण कांग्रेस से भाजपा में आए नेता रहे हैं।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं के कारण भाजपा नेताओं की नाराजगी खुलकर नजर आ रही है। भाजपा संगठन द्वारा राजधानी में लोकसभा सीटों पर तैनात किए गए विस्तारकों की बैठक में इस बात का खुलासा खुद विस्तारकों ने किया है। विस्तारकों का कहना था कि कुछ लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस से आए नेताओं के विरोध के चलते भाजपा के अपने नेता नाराज रहे। इसके चलते पार्टी का बूथ स्तर तक माहौल बिगड़ा है। सूत्रों की माने तो विस्तारकों ने सतना, ग्वालियर, मंडला, दमोह, होशंगाबाद सहित अन्य सीटों का उदाहरण संगठन के सामने रखा और बताया कि कांग्रेस नेताओं के भाजपा में आने से यहां के हमारा मूल कार्यकर्ता और नेताओं की नाराजगी साफ नजर आई है। इन नेताओं की सक्रियता कम रही। साथ ही इनकी नाराजकी के चलते जिला संगठन भी कमजोर दिखाई दिया। इसका सीधा असर मत प्रतिशत पर पड़ा है। बूथ स्तर पर जो लक्ष्य तय किया गया था, पार्टी कई बूथों मत प्रतिशत बढ़ाने में ये नाराजगी सबसे बड़ा कारण बनी है।
सूत्रों की माने तो विस्तारकों के रिपोर्ट के बाद यह बात भी सामने आई है कि करीब आधा दर्जन सीटों पर भाजपा का कड़ा मुकाबला है। यहां के परिणाम कुछ भी हो सकते हैं। इसके पीछे बूथ स्तर पर मतदान का प्रतिशत ना बढ़ना भी एक कारण है।