पहले चरण की आदिवासी बाहुल्य सीटों पर संघ की सक्रियता
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जनजागरण अभियान के तहत गिना रहे मोदी सरकार के काम,
भोपाल। महाकौशल और विंध्य अंचल की छह सीटों के लिए पहले चरण में मतदान होना है। इन सीटों पर मतदान के पहले आदिवासी वर्ग के मतदाता को लुभाने के लिए अब संघ ने सक्रियता बढ़ाई है। संघ के स्वयंसेवक जनजागरण अभियान के तहत मोदी सरकार के कामों को आदिवासी वर्ग के बीच पहुंचकर बताने में जुटे हैं।
चुनाव हो और भाजपा के पक्ष में संघ की सक्रियता ना हो, ऐसा हो नहीं सकता है। खासकर महाकौशल, विंध्य और मालवा-निमाड़ की उन सीटों पर जहां पर आदिवासी वर्ग का मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है। हमेशा की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव के पहले से ही संघ ने मैदानी जमावट करनी ष्शुरू कर दी थी। इसके चलते अब पहले चरण के मतदान वाले क्षेत्रों छिंदवाड़ा, मंडला, ष्शहडोल और सीधी में संघ के स्वयं सेवकों की सक्रियता ज्यादा बढ़ी है। वहीं बालाघाट और जबलपुर संसदीय सीट पर भी आदिवासी वर्ग के मतदाताओं के बीच ये स्वयं सेवक सक्रिय हुए हैं। स्वयं सेवकों ने जनजागरण अभियान चलाया है। खासकर गांव-गांव को फोकस कर ये स्वयं सेवक मतदाता के बीच पहुंचकर मोदी सरकार के कामों को गिना रहे हैं। इस वर्ग के मतदाता को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि उनके लिए सरकार ने कौन-कौन सी योजनाएं चलाई है और क्या फैसले लिए गए हैं।
संघ के स्वयं सेवकों का पूरा फोकस चार आदिवासी बाहुल्य सीटों पर है, जहां पर छोटे दलों खासकर आदिवासी वर्ग का नेतृत्व करने वाले सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। खासकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशियों पर इनका फोकस है। संघ पदाधिकारियों का मानना है कि कहीं ना कहीं ये प्रत्याशी कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकते हैं। खासकर महाकौशल की छिंदवाड़ा, बालाघाट और विंध्य की ष्शहडोल एवं सीधी सीटों पर। इसके चलते आदिवासी वर्ग में संघ ने सक्रियता दिखाते हुए इस वर्ग के मतदाता को भाजपा के पक्ष में लाने का प्रयास किया है।
भोपाल। महाकौशल और विंध्य अंचल की छह सीटों के लिए पहले चरण में मतदान होना है। इन सीटों पर मतदान के पहले आदिवासी वर्ग के मतदाता को लुभाने के लिए अब संघ ने सक्रियता बढ़ाई है। संघ के स्वयंसेवक जनजागरण अभियान के तहत मोदी सरकार के कामों को आदिवासी वर्ग के बीच पहुंचकर बताने में जुटे हैं।
चुनाव हो और भाजपा के पक्ष में संघ की सक्रियता ना हो, ऐसा हो नहीं सकता है। खासकर महाकौशल, विंध्य और मालवा-निमाड़ की उन सीटों पर जहां पर आदिवासी वर्ग का मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है। हमेशा की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव के पहले से ही संघ ने मैदानी जमावट करनी ष्शुरू कर दी थी। इसके चलते अब पहले चरण के मतदान वाले क्षेत्रों छिंदवाड़ा, मंडला, ष्शहडोल और सीधी में संघ के स्वयं सेवकों की सक्रियता ज्यादा बढ़ी है। वहीं बालाघाट और जबलपुर संसदीय सीट पर भी आदिवासी वर्ग के मतदाताओं के बीच ये स्वयं सेवक सक्रिय हुए हैं। स्वयं सेवकों ने जनजागरण अभियान चलाया है। खासकर गांव-गांव को फोकस कर ये स्वयं सेवक मतदाता के बीच पहुंचकर मोदी सरकार के कामों को गिना रहे हैं। इस वर्ग के मतदाता को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि उनके लिए सरकार ने कौन-कौन सी योजनाएं चलाई है और क्या फैसले लिए गए हैं।
संघ के स्वयं सेवकों का पूरा फोकस चार आदिवासी बाहुल्य सीटों पर है, जहां पर छोटे दलों खासकर आदिवासी वर्ग का नेतृत्व करने वाले सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। खासकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशियों पर इनका फोकस है। संघ पदाधिकारियों का मानना है कि कहीं ना कहीं ये प्रत्याशी कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकते हैं। खासकर महाकौशल की छिंदवाड़ा, बालाघाट और विंध्य की ष्शहडोल एवं सीधी सीटों पर। इसके चलते आदिवासी वर्ग में संघ ने सक्रियता दिखाते हुए इस वर्ग के मतदाता को भाजपा के पक्ष में लाने का प्रयास किया है।