अजा वर्ग की सीटों पर कांग्रेस, बसपा नहीं दिखा पाती दम
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भाजपा को मिलती रही है सफलता
भोपाल। लोकसभा के लिए प्रदेश में चार सीटें अजा वर्ग के लिए आरक्षित हैं। मगर इन चारों सीटों पर कांग्रेस के अलावा बसपा का प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। खासकर बसपा इस वर्ग के मतदाता को अपना मतदाता मानती है, मगर इन चारों सीटों पर उसका अब तक खाता तक नहीं खुला है।
प्रदेश में टीकमगढ़, भिंड, देवास और उज्जैन लोकसभा सीटें अजा वर्ग के लिए आरक्षित है। इन सीटों का इतिहास बताता है कि बसपा को कभी भी इन सीटों पर सफलता हासिल नहीं हुई है, बल्कि बसपा को वोट बैंक भी यहां कमजोर ही रहा हैं कभी भी इन चारों सीटों पर बसपा को एक लाख वोट भी हासिल नहीं हुए हैं। दूसरी और कांग्रेस के लिए भी इन सीटों पर इस वर्ग का मतदाता वोट नहीं कर पा रहा है। दोनों ही दल इस वर्ग के हितैशी होने का दावा तो करते रहे हैं, मगर इस वर्ग के मतदाता के बीच अपनी पैठ जमाने में ये असफल रहे हैं।
टीकमगढ़ संसदीय सीट 2008 में परिसीमन के बाद इस वर्ग के लिए आरक्षित हुई। इसके पहले यह खजुराहो संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती रही। पूर्व में 1977 से लेकर 2009 तक यह सीट अस्तित्व में नहीं थी। इसके बाद से इस सीट पर भाजपा जीतती आ रही है। कांग्रेस और बसपा यहां पर खाता भी नहीं खोल पाई है। 2009 के बाद से अब तक इस सीट पर वर्तमान सांसद वीरेन्द्र कुमार खटीक ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इसी तरह भिंड लोकसभा सीट भी 2008 के परिसीमन के बाद अजा वर्ग के लिए आरक्षित हुई। इसके बाद से इस सीट पर भी भाजपा का कब्जा रहा है।
देवास सीट भी परिसीमन के बाद ही अस्तित्व में आई। पहले यह संसदीय क्षेत्र ष्शाजापुर संसदीय क्षे में शामिल था। अस्तित्व में आने के बाद 2009 में जरूर इस सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली थी, मगर उसके बाद से इस सीट पर भी भाजपा का कब्जा रहा है। कांग्रेस का ग्राफ इस सीट पर लगातार गिरता जा रहा है। वहीं उज्जैन संसदीय क्षेत्र 1966 से अजा वर्ग के लिए आरक्षित रहा है। जनसंघ और भाजपा का यह गढ़ बनता जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस को 1957, 1962, 1984 और 2009 में ही सफलता मिली है। इसके अलावा 1952 से अब तक हुए चुनावों में जनसंघ और भाजपा का कब्जा ही इस सीट पर रहा है।
भोपाल। लोकसभा के लिए प्रदेश में चार सीटें अजा वर्ग के लिए आरक्षित हैं। मगर इन चारों सीटों पर कांग्रेस के अलावा बसपा का प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। खासकर बसपा इस वर्ग के मतदाता को अपना मतदाता मानती है, मगर इन चारों सीटों पर उसका अब तक खाता तक नहीं खुला है।
प्रदेश में टीकमगढ़, भिंड, देवास और उज्जैन लोकसभा सीटें अजा वर्ग के लिए आरक्षित है। इन सीटों का इतिहास बताता है कि बसपा को कभी भी इन सीटों पर सफलता हासिल नहीं हुई है, बल्कि बसपा को वोट बैंक भी यहां कमजोर ही रहा हैं कभी भी इन चारों सीटों पर बसपा को एक लाख वोट भी हासिल नहीं हुए हैं। दूसरी और कांग्रेस के लिए भी इन सीटों पर इस वर्ग का मतदाता वोट नहीं कर पा रहा है। दोनों ही दल इस वर्ग के हितैशी होने का दावा तो करते रहे हैं, मगर इस वर्ग के मतदाता के बीच अपनी पैठ जमाने में ये असफल रहे हैं।
टीकमगढ़ संसदीय सीट 2008 में परिसीमन के बाद इस वर्ग के लिए आरक्षित हुई। इसके पहले यह खजुराहो संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती रही। पूर्व में 1977 से लेकर 2009 तक यह सीट अस्तित्व में नहीं थी। इसके बाद से इस सीट पर भाजपा जीतती आ रही है। कांग्रेस और बसपा यहां पर खाता भी नहीं खोल पाई है। 2009 के बाद से अब तक इस सीट पर वर्तमान सांसद वीरेन्द्र कुमार खटीक ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इसी तरह भिंड लोकसभा सीट भी 2008 के परिसीमन के बाद अजा वर्ग के लिए आरक्षित हुई। इसके बाद से इस सीट पर भी भाजपा का कब्जा रहा है।
देवास सीट भी परिसीमन के बाद ही अस्तित्व में आई। पहले यह संसदीय क्षेत्र ष्शाजापुर संसदीय क्षे में शामिल था। अस्तित्व में आने के बाद 2009 में जरूर इस सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली थी, मगर उसके बाद से इस सीट पर भी भाजपा का कब्जा रहा है। कांग्रेस का ग्राफ इस सीट पर लगातार गिरता जा रहा है। वहीं उज्जैन संसदीय क्षेत्र 1966 से अजा वर्ग के लिए आरक्षित रहा है। जनसंघ और भाजपा का यह गढ़ बनता जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस को 1957, 1962, 1984 और 2009 में ही सफलता मिली है। इसके अलावा 1952 से अब तक हुए चुनावों में जनसंघ और भाजपा का कब्जा ही इस सीट पर रहा है।